आपका किशोर बड़ा हो रहा है, वो अपनी बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन कर रहा है जिसका आप को फक्र होना चाहिए। साथ ही वो अपने आप मे होने वाले मानसिक और शारीरिक बदलावों के बारे में लगातार ज्ञान प्राप्त करने की असीम जिज्ञासा भी प्रदर्शित करता दिखता हैं, जिनसे दौर से वह गुजर रहा है उससे आप गुजर चुके हैं । इस बात का एहसास तो आप को भी हो गया होगा की उन्हें अपने वयस्क हुड से परिचित कराने का समय आ गया है … सही मायनों में वो युवा वयस्क बन रहे हैं।
आपका मन बहुत सारे सवालों आ रहे होंगे… जैसे की उन्हे क्या बताये? उनसे कब बात करनी है? क्या माता-पिता दोनों बात करेंगे या माँ या पिता मे से कोई एक बात करेंगा ?
यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है की एक अभिभावक के रूप में आप अपने बच्चे को बेहतर जानते हैं और उसे सबसे अच्छी सलाह दे सकते हैं।
किस उम्र में?
आप अपने बच्चे के साथ रहते हैं और स्वाभिक है की उसमे होने वाले शारीरिक बदलावों पर ध्यान देते होंगे। जब आप अपने बच्चों मे वयस्क होने के बदलाव को देखना शुरू करते हैं तो आप को धीरे धीरे उनको उसके उस बदलाव से परीचित करना चाहिए। आमतौर पर, 12 -14 साल की उम्र में इन चीजों को शुरूआत होती हैं। लड़कियों को लड़कों की तुलना में थोड़ा पहले यौवन प्राप्त होता है।
कौन बात करेगा?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चा किसके साथ अधिक सहज है और परिवार में तारतम्य कैसा है। यह संभव हो सकता है यदि आपके पास एक बालिका है तो उसकी मां मासिक धर्म और अन्य शारीरिक परिवर्तनों पर बातचीत कर सकती है। एक पिता अपने बेटे से शारीरिक और भावनात्मक दोनों बदलावों पर बात कर सकता है। सबसे अच्छा यह होगा कि अगर माता-पिता दोनों एक साथ बैठकर युवा वयस्कों से बात कर सकते हैं।
क्या बात करनी है?
जब आपने तय कर लिया है कि कौन बात करेगा, अब सवाल है क्या बात करें। इसे जितना संभव हो उतना सरल बनाएं, यह बातचीत दो-तरफ़ा होनी चाहिए। इसे उन सवालों के जवाब देने की तरह बनाने की कोशिश करें जो आपके बच्चे पूछते हैं। यह ध्यान रखें कि आपके किशोर के पास पहले से ही मित्रों का एक समूह है, जहाँ से उसे बहुत सारी जानकारी पहले से ही मिल रही होती है। कभी भी किसी सवाल को बीच में या भ्रम की स्तिथि में न छोड़ें, यह किशोर के लिए भ्रामक हो सकता है। सत्य यह है की जो भी परिवर्तन हो रहा है वो उनके साथ ही हो रहा है ऐसे में हो सकता है वो किसी तनाव से भी गुजर रहा हो। हालांकि यह एक सामान्य विकासात्मक प्रक्रिया है जिससे सभी को गुजरना पड़ता है। इसे जितना हो सके सहज और सरल शब्दों में स्पष्ट करें, और हाँ शरीर के अंगों के सही नाम का उपयोग करें, अपने स्वर को एक मार्गदर्शक या शिक्षक की तरह बनाए रखें जो बहुत अच्छी तरह से प्रजनन प्रणाली की व्याख्या करता है। किसी भी कंटेंट से कभी न शर्माएं इससे आप अपनी बात को बेहतर ढंग से रख पाएंगे ।
यह थोड़ा मुश्किल है, लेकिन एक अभिभावक के रूप, में हम अपने बच्चों को कुछ भी समझाने के लिए सबसे अच्छे मार्गदर्शक हैं। अन्य स्रोत निश्चित रूप से इस विषय की गरिमा को बनाए नहीं रखेंगे। इस समय के अपने कुछ अनुभवों के बारे में भी उन्हे बताएं । अपने किशोर को वयस्क बनने के इस पड़ाव पर सहज बनाने के लिए परिवार से अच्छी जगह नहीं है। अपने बच्चे को उनके मित्रों या इंटरनेट से भ्रामक ज्ञान के ब्रह्मांड में खो जाने के लिए मत छोड़ो।
जैसा कि आपने उन्हें बचपन से सिखाया, उनके जीवन के हर पड़ाव मे उनका सहयोग दिया अब वो समय आ गया है की आप का किशोर आगे बढ़ कर जिम्मेदारी लेगा, भविष्य में जीवन से जुड़े फैसले लेगा। उसके इस पड़ाव की नीव आप को ही रखनी है ताकि वो सही जानकारी के साथ अपने जीवन को सही तरह से संवार सके …