भारत में मॉनसून का सीजन हर वर्ष जून महीने से शुरू होकर सितंबर तक रहता है। चिचिलाती गरमी से मन जब बेहाल हो चुका होता है, तो बारिश की ये बूंदें राहत और सेलिब्रेशन का माहौल बनाती है। हिन्दू संस्कृति में इस मौसम में कई सारे त्योहार मनाए जाते हैं, जिनके माध्यम से जन मानस इस बारिश और फसलों के लिए ईश्वर को धन्यवाद समर्पित करते हैं।
गंगा दशहरा: गंगा जी के पवित्र घाटों जिनमें हरिद्वार, ऋषिकेश, प्रयाग और वाराणसी प्रमुख है इन जगहों पर मे या जून महीने में यह पर्व बहुत शानदार तरीके से मनाया जाता है। ऐसा विश्वास है कि इसी दिन पवित्र गंगा इस धरती पर अवतरित हुई थी। हजारों लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपनी भक्ति समर्पित करने इन घाटों पर एकत्रित होते हैं। संध्या समय की आरती कीर्तन भजनों से ये स्थान मानो सजीव हो उठते है। कभी समय निकाल कर आप भी शामिल होइए इन आयोजनों में, शांति, सुकून और आध्यात्मिक तृप्ति से आपका मन गदगद हो उठेगा।
रक्षा बंधन: श्रावण माह के आखिरी दिन यह त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार प्रतीक है भाई और बहन के एक दूसरे के प्रति प्यार, समर्पण और जीवन भर एक दूसरे का साथ निभाने और रक्षा करने के वचन के प्रतीक का। इंग्लिश कैलन्डर में यह पर्व जुलाई या अगस्त माह में होता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है और अपने भाइयों के अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धता और लंबी आयु की कामना करती हैं।
जन्माष्टमी: यह त्योहार भगवान कृष्ण के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है अधिकतर यह पर्व अगस्त या सितंबर में होता है। जन्माष्टमी पर्व बड़े ही धूम धाम हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भवन के बालस्वरूप, लड्डू गोपाल जी के लिए झूला लगाया जाता है। मध्य रात्री जन्मोत्सव किया जाता है मंदिर भजन कीर्तन और भगवान के जयकारों से गुंजायमान रहते है।
पंजीरी, पंचामृत मेवा पाग ये प्रमुख भोग है इस त्योहार के अन्य मिठाइयों की लिस्ट तो बहुत लंबी है, फिर छप्पन भोग भी है ही।
मथुरा, वृंदावन में जन्मोत्सव की धूम तो आप वहाँ जाकर ही महसूस कर सकते हैं। पर यह पर्व तो भारत के हर प्रांत हर घर में बड़े ही उल्लास से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में दही हांडी, तो तमिलनाडु में नंदोत्सव प्रमुख है। इस्कॉन संस्था ने तो इस पर्व की भोगोलिक सीमाएं लांघ कर पूरे विश्व में इसको प्रचलित बना दिया है।
तीज: तीज पर्व विवाहित महिलाओं और कुमारी कन्याओं का किये जाने वाला व्रत है। कन्याएं अच्छे पति की प्राप्ति हेतु और विवाहिताएं अपने पतियों की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह व्रत करती हैं। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है, जिसमें श्रद्धालु पूरे दिन पूरी रात निर्जला व्रत रहकर अपनी श्रद्धा और भक्ति भगवान को समर्पित करते हैं। यह व्रत भारत के उत्तरी भाग में विशेषकर प्रचलित है।
गणेश चतुर्थी: यह पर्व यूं तो भारत के लगभग हर प्रांत में मनाया जाता है पर महाराष्ट्र मे इसकी छटा अलग ही देखने मिलती है। यह पर्व दस दिनों तक मनाया जाता है। अगस्त / सितंबर माह में मनाया जाने वाला यह त्योहार हर घर हर मंदिर में बड़ी धूम धाम से किया जाता है। भगवान गणेश की सभी आकारों की मूर्तियाँ आपको हर घर में पूजती हुई दिखेंगी। तरह तरह के भोग, आरती, वंदना, इन दस दिनों का मुख्य आकर्षण होता है। फिर भगवान की मूर्तियों को विसर्जित करते है, यह स्मरण करते हुए कि इस संसार में हर समापन में ही नई शुरुवात का आरंभ है भक्त “गणपति बप्पा मोरया अगली बरस तू जल्दी आ” कहते हैं। तरह तरह की थीम की सजावट और मोदक और लड्डुओं की महक से कोई भी इनसे आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता।
ओणम: केरल प्रदेश का यह पर्व प्रतीक है फसलों के प्रति जन मानस के आभार व्यक्त करने का और साथ ही सेलिब्रेशन का भी। ओणम पर्व पर होने वाली नौका दौड़ विश्व भर में प्रसिद्ध है। कई तरह के व्यंजन जब केले के पत्ते पर आपके सामने आते है तो चयन कारण मुश्किल हो जाता है क्या पहले खाया जाए। केरल प्रांत की कौशल कला कलरिपयट्टू का प्रदर्शन हर दर्शक को रोमांचित कर देता है।
रथ यात्रा: यह पर्व श्री जगन्नाथ जी को समर्पित है। यह पर्व ओरीसा के पुरी धाम में बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इसमें प्रभु जगन्नाथ जी अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ यात्रा करते है। बड़े ही भव्य तरीके से यह यात्रा निकाली जाती है जिसमे भगवान के रथ के आगे का रास्ता वहां के राजपरिवार के प्रमुख साफ करते है। दूर दूर से श्रद्धालु जन इस पर्व के साक्षी बनने के लिए पुरी धाम पहुंचते है।
ऐसे तो भारत वर्ष त्योहारों से बहुत समृद्ध देश है पर यहां सिर्फ कुछ प्रमुख मॉनसून सीजन के त्योहारों का वर्णन किया है।