मेटाबोलिज़्म’ ये शब्द अपने बहुत बार सुना होगा, जब भी आप अपनी प्रॉब्लेम लेकर किसी हेल्थ एक्सपर्ट के पास जाते हैं। तब ऐसा लगता है जैसे आपकी हर समस्या की जड़ ये मेटाबोलिज़्म ही है।
मेटाबोलिज़्म वास्तव में शरीर की आंतरिक गतिविधियों में इस्तेमाल होने वाली संपूर्ण एनर्जी है। हमारे अंदर जो भी क्रियाएं हमारी इच्छा के बिना, अपने आप होती रहती है जैसे सांस लेना, भोजन का डाईजेशन, उत्सर्जन, भीतरी बेलेन्स, इम्यूनिटी, इत्यादि उन सभी क्रियाओं के सुचारु रूप से संचालन के लिए अच्छी मात्रा में एनर्जी की आवश्यकता होती है।
अगर ये इतना सिम्पल है तो इसका हाइप क्यूं किया गया है? एक प्रश्न आपके मन में आ रहा होगा कि हर लाइफ स्टाइल से जुड़ी समस्या को मेटाबोलिज़्म से क्यू जोड़ दिया जाता है। अन्य बायोलॉजिकल पेरामीटर की तरह ही मेटाबोलिज़्म की भी एक निश्चित रेंज होती है जो पुरुषों और स्त्रियों में अलग अलग होती है। तो प्रॉब्लेम मेटाबोलिज़्म नहीं बल्कि इसका कम या ज्यादा होना है। आधुनिक समय की ज्यादातर समस्याएं स्लो मेटाबोलिज़्म से ही जुड़ी हैं, या फिर बीमारी होने से मेटाबोलिज़्म स्लो हो जाता है।
क्या हम इसे चेंज कर सकते हैं? जरूर… यहाँ कुछ सिम्पल टिप्स हैं, जिन्हे अपना कर आप अपने मेटाबोलिज़्म को बूस्ट कर सकते हैं।
फिजिकल ऐक्टिविटी: हर तरह की एक्सरसाइज चाहे (इंटेन्स वाकिंग, स्ट्रेंगथ ट्रैनिंग, वेट ट्रैनिंग, रनिंग , स्ट्रेचिंग इत्यादि) ये सभी हमारा लीन बॉडी मास बढ़ाती है। यानि मसल्स मजबूत होती है। हर मसल सेल एक साधारण सेल से पाँच गुणा ज्यादा एनर्जी उपयोग करती है। जैसे जैसे आपका लीन बॉडी मास बढ़ेगा, आप कुछ करें या ना करें बैठे बैठे आपका शरीर अधिक एनर्जी खर्च करेगा सीधे शब्दों में आपका मेटाबोलिज़्म बढ़ेगा।
हाइड्रेटेड रहें: शरीरकी हर कोशिका को भली प्रकार से काम करने के लिए पर्याप्त मात्र में पानी की आवश्यकता होती है। इसीलिए हाइड्रेटेड रहें इसके लिए सिर्फ पानी ही नहीं बल्कि कोकोनट पानी, वेजीटेबल जूस, नींबू पानी, छांछ इत्यादि भी लेते रहें ताकि आवश्यक मिनरल्स भी शरीर में पहुचते रहें। फ्रूट जूस की आदत मत बनाइये क्यूंकि इसमें शुगर की मात्र अधिक होती है और साथ ही फाइबर भी नहीं होते। अल्कोहल, कोल्ड ड्रिंक्स, केफीनेटेड ड्रिंक्स दिखने में तो ड्रिंक्स होते हियाँ पर वास्तव में ये शरीर को डीहाईड्रेट करते हैं । इसीलिए इनकी मात्र सीमित रखें।
स्लीप: जब हम सो रहे होते हैं तो हमारा इन्टर्नल सिस्टम मेनटिनेन्स मोड में होता है। सेल्स की रिपेयरिंग, इम्यूनिटी बिल्डिंग, कई क्लीनिंग एक्टिविटी इत्यादि हो रही होती है। तो इस टाइम भी आप बड़ी मात्रा में एनर्जी खर्च करते हैं। कितना मजेदार बात है ना… सोते सोते एनर्जी कनज़्युम हो रही है वो भी आपको बेहतर बनाने में।
क्या कुछ ऐसे फूड हैं जो मेटाबोलिज़्म बढ़ाने में सहायक हैं? ऐसे कई फूड आइटम्स हैं जो मदद करते हैं।
खट्टे फल: नींबू, संतरे ,स्ट्राबेरी, कीनू इत्यादि मेटाबोलिज़्म बढ़ाने में सहायक हैं। ये आपके लिवर को डिटॉक्सीफाई करने डाइजेस्टिव सिस्टम को क्लीन करने में सहायक हैं। विटामिन सी पानी में घुलनशील होता है तो इन फलों में उपस्थित एन्ज़ाइम टॉक्सिनस से मिलकर ऐसे कम्पाउन्ड बना लेते हैं जिन्हे शरीर अंततः आसानी से बाहर निकाल देता है।
ब्लेक कॉफी: कॉफी में उपस्थित कैफीन, इनहीबिटरी एडिनोसिन न्यूरोट्रांसमीटर को ब्लॉक करके डोपामाइन और नॉर एपिनेफ्रीन को रिलीज करने में सहायक है। ये न्यूरोट्रांसमीटर मेटाबोलिज़्म को सुधार कर जमे हुए फैट को हटाने में मदद करते हैं।
दालचीनी: दालचीनी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स और फाइटो केमिकल्स होते हैं जो आपके मेटाबोलिज़्म को स्पीड अप करने में बहुत प्रभावी हैं। आप दालचीनी को पीसकर सब्जियों में इस्तेमाल कर सकते हैं। या फिर इसको पानी में उबालकर चाय बना सकते है एक बार शुरू कीजिए धीरे धीरे आपको खुद आइडिया हो जाएगा कैसे आप इसे अपनी दिनचर्या मे ला सकते हैं। इसके प्रयोग में एक बात ध्यान देने योग्य हैं की इसका इस्तेमाल लगातार ना करें बीच बीच में कुछ दिनों का अंतराल जरूर करें।
ग्रीन टी, लहसुन, अदरक,काली मिर्च, फ्रूट्स, हरी सब्जियां, ओट्स इत्यादि भी मेटाबोलिज़्म इंप्रूव करने में बहुत लाभकारी हैं। स्टार्ट करिए मेटाबोलिज़्म इंप्रूव करिए और अच्छी सेहत के साथ जीवन का आनंद उठाइए।