PCOS होने के बाद एक बात तो सभी के लिए कॉमन है की आप को अपनी जीवन शैली में काफी हद तक परिवर्तन करना पड़ता है। कई मायने में ये बहुत सही है, संतुलित आहार, सही फूड चॉइस, खाने का एक फिक्स पेटर्न, ऐक्टिव जीवन आपके ब्लड ग्लूकोस लेवल को स्थिर रखने में बहुत अधिक सहायक है।
सही खाए –
हेल्थी खाने से तात्पर्य है भोजन में कई वराइटी शामिल करना ताकि अलग अलग तरह के न्यूट्रीएंट्स आपको मिल सकें और आप एक हेल्थी लाइफ इन्जॉय कर सकें। कुछ तरह के फूड आइटम्स आप दैनिक रूप से लेने हैं तो कुछ फूड आइटम्स को कभी कभार खाना ही ठीक रहता है। भले ही आप पूर्ण रूप से स्वस्थ हों और आपका वजन भी नियंत्रित हो फिर भी हेल्थी डाइट आश्वस्त करती है कि आपको सभी तरह के आवश्यक तत्व आपके भोजन से मिल रहें हैं।
- फल और सब्जियों को अपनी डाइट में भरपूर शामिल करें।
- डेरी प्रोडक्टस की शुद्धता निश्चित करें और नहीं तो उन्हें कम मात्रा में खाएं। डेरी प्रोडक्टस का उत्पादन आजकल कृत्रिम तरीके से पशुओं को हॉर्मोन के इंजेक्शन देकर बढ़ाया जा रहा है इसीलिए इसकी शुद्धता परखना उचित है इसके लिए आप लोकल वेन्डर का सहारा ले सकते हैं।
- बेड फैट जैसे रिफाइन्ड ऑइल और अनुपयुक्त प्रोसेस्ड सेचुरेटड फैट का उपयोग न करें इनकी जगह हेल्थी विकल्प लें।
- फ़ाइबर रिच डाइट और कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट का प्रयोग करें।
- लो ग्लाइसिमिक इंडेक्स वाले भोजन का चुनाव करें।
- हाइड्रेटड रहें।
- कुछ सीड्स जैसे फ्लेक्स सीड्स, गार्डन क्रेस सीड्स, पंपकिन, सनफ़्लावर मेथी इत्यादि हॉर्मोन संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इनको अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
- फिश ऑइल सप्लीमेंट
- कुछ हर्ब्स जैसे तुलसी अदरक भी अच्छे हैं।
अनाज – ज्वार, बाजरा, मक्का, ओट्स, मयूसली, दलिया, हेंड पाउन्ड राइस, होल ग्रेन्स और मल्टी ग्रेन ब्रेड इत्यादि।
दालें – हरी/ पीली मूंग दाल, मसूर दाल, उरद, छोले, राजमा, बीन्स इत्यादि।
डेरी प्रोडक्टस – पनीर, अच्छी क्वालिटी का दूध दही इत्यादि।
फ्रूट्स – सभी तरह के सीजनल और लोकल फल। लोकल से तात्पर्य है जो आपके स्थान से 200 km की रेंज में मिलते हों।
नट्स – बादाम, अखरोट, पिस्ता, इत्यादि।
वेजीटेबल्स – सभी सीजनल और लोकल सब्जियां।
फिजिकली एक्टिव होना
भले ही आपको अपने वजन में फरक न लगे फिर भी डेली एक्सर्साइज़ करना कभी मत छोड़िए, क्यूंकि इससे इंसुलिन रेजिसटेन्स इम्प्रूव होती है। ये बहुत आवश्यक है ताकि PCOS के कुछ कॉम्प्लिकेशन इंप्रूव हो सकें। फिजिकली एक्टिव रहने से मतलब है की हफ्ते में 5 दिन कम से कम डेली 30 – 45 मिनट की एक्सर्साइज़ और दिन में लंबी सिटिंग नहीं होना।
ऐक्टिव रहना आपको मदद करेगा –
- एन्ड्रोजन कम करने में।
- इंसुलिन रेजिसटेन्स इंप्रूव करने में।
- मेन्स्ट्रुअल साइकल रेगुलेट करने में।
- ओव्युलेशन को प्रेरित करने में।
- फर्टिलिटी इंप्रूव करने में।
- एनर्जी लेवल बढ़ाने में।
- आत्म विश्वास बढ़ाने में।
- चिंता और निराशा दूर करने में।
इतना फायदा आपको होगा तो वेट लॉस भी साइड इम्प्रूव्मन्ट की तरह आपको गिफ्ट में मिलेगा।
किस तरह की एक्सर्साइज़ करें?
हर तरह की एक्सर्साइज़ आपको लाभ ही पहुंचाएगी। पर फिर भी हफ्ते का शेड्यूल बना लेना बेहतर रहता है। तो आप योग, स्ट्रेचिंग, वेट ट्रैनिंग, ब्रिस्क वाक, कार्डियो एक्सर्साइज़ का साप्ताहिक शेड्यूल बना लीजिए। अगर आपको किसी गेम या फिर डांस का शौक है तो और भी बढ़िया है, ये तो मस्ती के साथ होने वाला व्यायाम है।