क्या आप लाइफ में संतुलन के लिए परेशान हैं? आप अपने आस पास नजर दौड़ाइए आप को अपने दोस्तों में ही कई लोग मिलेंगे जिन्होंने अपनी लाइफ भली भांति संतुलित कर रखा है… ऐसे कैसे? क्या ये लोग अलग है? वो ऐसा क्या अलग करते है कि उन्होंने अपने जीवन में संतुलन स्थापित कर रखा है। ये भी एक फैक्ट है कि जब आप पैदा होते है, तो आपका हर मेकेनिज़्म एक संतुलन में होता है पर समय के साथ ये संतुलन कहाँ खो जाता है। जिन लोगों ने इस संतुलन को बरकार रखा है उन्होंने अपने आनुवंशिक संतुलन को ठीक से रखा है।
आपको अब ये जानने की उत्सुकता होगी कि ये आनुवंशिक बेलेन्स मोड क्या होता है?
आइये इसे समझने की कोशिश करते है, जब आप इस दुनिया में आते है और सांस लेना शुरू करते है, तबसे आपका पहला एक्ट ऑफ बेलेन्स शुरू होता है। जिसमें आप आक्सीजन शरीर के अंदर लेकर कार्बन डाई आक्साइड बाहर छोड़ते हैं। इसके बाद शुरू होता है सीखने का एक लंबा दौर जिसमें आप घुटनों पर चलना फिर खड़े होकर चलना, दौड़ना इत्यादि सीखते रहते है …
फिर बड़े होने पर अचानक आपको ये एहसास होता है की आपकी लाइफ का बेलेन्स कुछ बिगड़ गया है। ऐसा क्यूँ हुआ? आप तो अपनी समझ से सब कुछ ठीक ही कर रहे है।
पर क्या आप ने कभी ध्यान दिया की इतने दिनों आप ने केवल एक ही काम किया है आपको जो भी मिलता गया आप उसे ग्रेब करते गए। जबकि आपको बेलेन्स के लिए कुछ छोड़ना भी था, पर वो तो आप ने किया ही नहीं। सिर्फ सांस अंदर लेने से और लेते रहने से बेलेन्स नहीं आएगा आप को साँसे छोड़नी भी पड़ती हैं। तो अब शायद आप को कुछ कुछ समझ आ रहा होगा की हम यहाँ क्या बात कर रहें हैं। चलिए अब कुछ लाइफ एलिमेंट्स और उनके बेलेन्स के बारे में और बात करते हैं …
लाइफ बेलेन्स के एलीमेंट्स:
फर्स्ट एलीमेंट “स्वयं”- खुद को बेलेन्स रखना सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। यहाँ खुद के बेलेन्स से तात्पर्य है आपकी नींद, एक्सरसाइज, न्यूट्रीशन। सेल्फ मेनेजमेंट का मतलब है इस तथ्य को भली भांति समझना और आत्मसात करना कि ये जीवन, समय और सारे उपलब्ध स्रोत सभी सीमित है और इनका बेहतरीन इस्तेमाल करना हमारे होने का उद्देश्य, तो आप अपने शिप के खुद कप्तान हैं और ये सब आपको खुद सम्हालना है कोई और आपको मदद नहीं करने वाला।
आप जब पैदा होते है प्रकर्ति आपको निश्चित अंगों, मष्तिष्क, और सारा इन्टर्नल सिस्टम बहुत ही तरीके से फिट करके भेजती है। इसको ही आपको जीवन भर चलाना है वह भी इस शर्त के साथ की एजिंग भी होगी ये सारे तंत्र समय के साथ शिथिल होंगे। तो यहाँ आपको संतुलन बनाना है कि जब आप पूर्णतया स्वस्थ है तो उस समय भी वही सारे नियम मानने है जो आपको स्वस्थ बनाए रखें ना कि ढील दे देनी है।
ऐसा नहीं है कि आप अभी स्वस्थ है तो आपको एक्सरसाइज़ की जरूरत नहीं बल्कि अभी ख्याल रखेँगे, तो ही संतुलन बनाए रख पाएंगे।
सेकेंड एलीमेंट “समय”: आपके जीवन में हर क्षण एक ही बार आता है और इन्ही क्षणों को मिलाकर आपका जीवन काल बनता है। लाइफ में कुछ चीजे इंपोर्टेन्ट होती हैं कुछ अरजेंट होती है, इनकी प्राथमिकता आपको तय करनी होती है। इसीलिए समय को लेकर एक निश्चित नियम बनाएँ और अपने आप को, अपने परिवार को, अपने शौक को, अपने दोस्तों को समय दें और उसको कायम रखें।
थर्ड एलीमेंट “तनाव”: ये प्रकर्ति का नियम है कि समय के साथ साथ हम सभी कॉम्प्लेक्सीसिटी की तरफ बढ़ते जाते हैं। इसीलिए तनाव ग्रस्त होना बहुत ही स्वाभाविक है। शोर शराबा, कन्फ्यूजन, समय सीमाएं, डिस्ट्रेक्शन ये सब झुंझलाहट पैदा करते हैं। ऐसे में एक समय में एक ही चीज पर फोकस करना आपको काफी हद तक सहायता कर सकता है। हर हाल में भीतर की शांति को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए धीरे धीरे यह आपकी आदत बन जाएगा। योग, ध्यान, अध्यात्म, प्रकर्ति के साथ कुछ समय बिताना इनको चारों चीजों को आत्मसात करिए ये बहुत मददगार हैं।
फ़ोर्थ एलीमेंट “परिवर्तन”: आज के युग में एक चीज जो स्थिर है वो है परिवर्तन। इसीलिए नए तौर तरीकों तकनीकों को समझना उन्हें अपनाना ही सफल केरिएर और सफल और खुशहाल पारिवारिक लाइफ की कुंजी है।
अपना माइंडसेट ऐसा रखिए की परिवर्तन को लेकर बहुत रिजिड ना हो, साथ ही इतना भी फ्लेक्सिबल ना हो कि आपका व्यक्तित्व ही बदल जाए।
फिफ्थ एलीमेंट “तकनीक”: मानव जाति का विकास हमेशा तकनीक के साथ ही हुआ है। चाहे वह पहिये का आविष्कार हो या फिर भाले, आग इत्यादि ये लिस्ट बहुत लंबी है और कभी खतम नहीं होने वाली है। पर ध्यान रहे तकनीक का इस्तेमाल हमे करना है ना कि तकनीक हमें इस्तेमाल करने लगे, तो ये संतुलन हमें लाना है।
सिक्स्थ एलीमेंट “आराम”: आजकल के समय में सबसे अधिक अनदेखा या इग्नोर किये जाने वाला पॉइंट है। आप आराम तब करते है जब आप मन से रिलेक्स हों। इसके लिए अपनी कोई भी हॉबी को समय दीजिए अपना पसंदीदा संगीत सुनना, अपने लोगों के साथ समय बिताना ये सब आपको अंदर से सिर्फ तरोताजा ही महसूस नहीं करते बल्कि आपके जीवन में संतुलन भी स्थापित करने में मदद करते हैं।
आपका जीवन पैदा होते ही कॉम्पलिकेट नहीं हुआ था धीरे धीरे समय के साथ हो गया सो अब ये आपके ऊपर है धीरे धीरे इन गुथ्थियों को खोले और अपने जीवन की प्रथमिकताएं रीसेट करें और अपने जीवन का आनंद ले…