किचन प्रत्येक घर का एनर्जी देने वाला भाग होता है। यह घर के सभी सदस्यों के स्वास्थ्य और वैल बीइंग का स्रोत है। वास्तु के अनुसार घर में किचन की दिशा, दरवाजा, खिड़की, गेस चूल्हे की स्थिति, सिंक, फ्रिज और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की अपनी एक उचित जगह होती है।
घर में किचन वास्तु को लेकर कुछ पॉइंट्स है जिन्हे ध्यान में रखकर आपको अपनी किचन का अरेंजमेंट करना चाहिए ताकि आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।
लोकेशन – दक्षिण-पूर्व कोण या अग्नि कोण में किचन का होना सर्वोत्तम है। क्यूंकि किचन मे भी अग्नि प्रज्वलित होती है।
अगर यह संभव नहीं है तो दूसरा विकल्प आपके घर का उत्तर-पश्चिम कोण यानि वायु कोण है। किचन का दरवाजा उत्तर, पूर्व या पश्चिम इनमें से किसी भी किसी भी दिशा में हो सकता है।
इसके अलावा किचन की अन्य लोकेशन घर में नेगेटिविटी का स्रोत बनेगी।
कुक टॉप – गैस चूल्हा या स्टोव किचन के अंदर, अग्नि कोण यानि दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए, ताकि भोजन बनाते समय आपका मुख पूर्व की हो सके। इसका दूसरा विकल्प उत्तर-पश्चिम दिशा है। इसमे आप भोजन बनाते समय उत्तर की ओर मुख रहे ऐसा प्लैस्मन्ट करना चाहिये।
कभी भी दक्षिण मुख होकर भोजन नहीं बनाना चाहिए।
सिंक – सिंक में चूंकि पानी का स्रोत होता है इसीलिए इसके लिए ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व दिशा सर्वोत्तम है। इसका दूसरा विकल्प उत्तर या पूर्व दिशा है।
कभी भी दक्षिण पूर्व दिशा में सिंक और पानी का टैप मत रखिए इससे घर की एनर्जी कम होती है।
चिमनी और निकास – सैद्धांतिक रूप से एक खिड़की पूर्व और एक छोटी खिड़की दक्षिण दिशा में क्रॉस वेंटिलेशन के लिए बहुत बढ़िया है। चिमनी का एग्जास्ट पूर्व दिशा में सबसे अधिक बेहतर माना जाता है।
दक्षिण पश्चिम दिशा में कोई भी वेंटिलेशन मत दीजिए क्योंकि इससे घर की सकारात्मक ऊर्जा ड्रेन होती है।
फ्रिज और स्टोरेज – किचन की दक्षिण और पश्चिम दीवार पर ही स्टोरेज एरिया बनाना चाहिए जैसे बर्तन का रैक, फूड ग्रेन्स स्टोर करने की जगह इत्यादि।
कभी भी उत्तर और पूर्व दिशा की किचन की दीवारों को भारी मत करिए। ये घर के सदस्यों के लिए अनुकूल नहीं है।
कलर – किचन की दीवारों का रंग पीला, हरा, नारंगी, लाल या ब्राउन कर सकते है। किचन स्लैब का रंग ब्राउन या हरा सर्वोत्तम है।
दीवारों पर नीला और किचन स्लैब का काला रंग पूरी तरह से अवॉयड करिए।
अन्य बिजली के उपकरण – हीटर, ओवन, माइक्रोवेव, मिक्सर इत्यादि किचन के दक्षिण पूर्व या दक्षिण दिशा में रखें।
बिजली के उपकरणों को उत्तर पूर्व दिशा में ना रखें इससे घर में कलेष बढ़ता है।
प्राचीन समय में घरों में जगह की कोई समस्या नहीं थी। कुकिंग खुली जगह पर चूल्हे पर की जाती थी और बर्तन की सफाई बाहर की जाती थी। वास्तु की गाइडलाइंस मुख्यत सूर्य और वायु की दिशा को देखकर बनाई गई थी। पर आधुनिकीकरण की वजह से कई तरह के गैजेट्स छोटी सी जगह पर रखने होते है।
घर के सदस्यों का स्वास्थ्य भोजन से प्राप्त एनर्जी पर निर्भर होता है। इसीलिए एक सही तरह से डिजाइन कि हुई किचन जो कि वास्तु के निर्देश को ध्यान में रखकर बनाई जाती है, आपको मदद करेगी अपना और अपनों के स्वास्थ्य का ध्यान रखने में। साथ ही काम की सुगमता भी होनी चाहिए ताकि काम अच्छे से किया का सके।
कोशिश करिए जितनी अधिक से अधिक चीजों का पालन कर सकें। छोटी डिटेल्स के लिए परेशान मत होइए पर थोड़ा सजग तरीके से अनुपालन करिए। किचन के वास्तु का घर के पूरे वास्तु प्रभाव का ५०% तक योगदान होता है।
तो इन बातों का ध्यान रखिए और अपने जीवन का आनंद लीजिए।