“Work while you work, play while you play”
ये कविता इंग्लिश में मैंने अपने बचपन में पढ़ी थी, पर इसकी सार्थकता बड़े दिनों बाद समझ आई। अब लगता है यही तो मेडिटेशन है, कि जब जो भी काम करें पूरी तरह से उसी में लग्न हों। आपने एक पेरेंट होने के नाते नोटिस किया होगा कि शुरुवात में बच्चे आपको बहुत ध्यान से सुनते हैं पर लगभग 6-7 साल के होते होते उनका डिस्ट्रेक्शन शुरू हो जाता है। क्यूंकि, इस समय तक बच्चों में कई तरह की जिज्ञासा उत्पन्न हो जाती है। इसके लिए वो अपने आस पास के माहौल से, दोस्त, इंटरनेट जैसे कई सोर्सस से जानने की लगातार कोशिश करते रहते है। साथ ही मस्तिष्क में सही और गलत की समझ ना होने की वजह से, कहाँ फोकस करना है / कहाँ नहीं, ये पता नहीं होता। तो ये बच्चे करते कुछ रहते हैं और अगर काम मन का नहीं है तो दिमाग से कहीं और ही पहुंच जाते हैं।
तो यहाँ मेरे अनुभव से, मैंने कुछ गाइडलाइंस लिखी हैं, जो आपके बच्चों का कॉन्सेंट्रेशन बढ़ाने में, उनका ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकती हैं।
ऑर्गेनाइस्ड रहें: याद रखिए “बच्चे आपकी बात सुनते कम हैं और आपको फॉलो/कॉपी ज्यादा करते हैं”। अतः एक अच्छे रोल मॉडल बनिए। इसके लिए आपको बहुत ज्यादा कुछ नहीं करना है। एक आदत बना लीजिए ऑर्गेनाइस्ड रहने की, अपने सामान को हमेशा उचित जगह रखने की, अपने आस पास की चीजों को व्यवस्थित रखने की, आपकी ये आदत बच्चों में अपने आप ट्रांसफर हो जाएगी। इसका सबसे बड़ा लाभ है आपका टाइम बचेगा किसी भी चीज को ढूँढने का।
बचपन की ये आदत बड़े होकर आपके बच्चों को ऑर्गनाइस्ड व्यक्ति बनने मे सहायक होगी।
एक्टिव रहने को प्रेरित करें: “सक्रिय शरीर में ही सक्रिय मस्तिष्क का निवास होता है”। अपने बच्चों को पूरे दिन एक्टिव रहने को प्रेरित करिए। आजकल बच्चों को स्क्रीन से दूर रखना लगभग असंभव है। ऐसे में आप उनके लिए ऐसे इंडोर गेम्स खरीदिए जिनमे वे सिर्फ बैठे ना रहें। स्क्रीन देखने की समय सीमा निर्धारित करिए याद रखिए आप उनके गार्जियन हैं और आपको बेहतर पता है उनके लिए क्या सही है। शाम को 1-2 घंटे का समय बनाइये जब बच्चे किसी इंटेन्स भाग दौड़ के गेम्स मे इनवॉल्व हो। खेल बच्चों का शारीरक ही नहीं, मानसिक विकास भी करते है।
ये आदत बच्चों में खेल की भावना विकसित करेगी।
टु डू लिस्ट बनाने की आदत डालिए: “लिस्टिंग, ऑर्गेनाइज्ड होने का पहला स्टेप है”। किसी भी काम को करने से पहले उस काम से रिलेटेड मेंटल वर्क करने से परफ़ॉर्मेंस बेहतर होती है। आजकल यूं भी बच्चों के कई प्रोजेक्ट्स एक साथ चलते रहते हैं चाहे वो पढ़ाई से संबंधित हों या एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटी से। सो हफ्ते भर की लिस्ट बनाना, काम होने पर उसे टिक करना, मदद करेगा। इससे एन वक्त पर होने भूलें और हड़बड़ी नहीं होगी।
ये आदत बच्चों को अपनी प्रायोरिटी/प्रथमिकताएं निर्धारित करने योग्य बनेगी।
सुनने की आदत विकसित करें: “अच्छी लिसनिग एबिलिटी सक्सेस की गारंटी है”। अगर आप अपने बच्चे को ध्यान से सुनते है तो बच्चे भी आपको उतना ही अटेन्शन देंगे। उनकी ये आदत उनको क्लास में भी केंद्रित रखेगी और उन्हे अपना पाठ भी जल्दी याद हो जाएगा।
इस आदत से बच्चों की पढ़ाई से संबंधित लगभग सारी समस्याएं सुलझ जाएंगी।
सही खाने की आदत डालिए: “एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है”। आजकल जहां कई चॉइसेस हैं की आप कभी भी कुछ भी खा सकते है ऐसे में बहुत जरूरी है बच्चों को गाइड करना कि क्या उनके लिए वाकई सही है और अगर वो जानते हुए कुछ गलत खाना भी चाहे तो उसकी मात्रा लिमिट में रखे। आपके बच्चों को कभी भी किसी हेल्थ ड्रिंक की आवश्यकता नहीं होती है। नेचर ने बहुत सारे फूड हमें वरदान की तरह दे रखे हैं जो हमें स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त हैं।
इस आदत से बच्चों का तन और मन दोनों स्वस्थ और प्रसन्न रहेंगे।
इन आदतों के साथ अपने बच्चों को बड़ा करिए आपके बच्चों का भविष्य गढ़ने की जिम्मेदारी आपकी है। उन्हें अपना बचपन भी इन्जॉय करने दीजिए साथ ही एक जिम्मेदार नागरिक बनने की नीव भी डालिए.. उनके साथ साथ अपने जीवन का भी आनंद लीजिए।