गर्मियों के मौसम में गर्मी सिर्फ हमारे वातावरण में ही नहीं होती बल्कि हमारे भीतर भी कई तरह के परिवर्तन होते हैं। कुछ तो आप सीधे सीधे महसूस कर सकते हैं, जैसे अधिक पसीना आना, प्यास ज्यादा लगना, भूख कम हो जाना, गरम मसालेदार तीखे भोजन की जगह सादा और ठंडी चीजें खाने का मन करना इत्यादि।
इस मौसम में हमें ऐसे भोज्य पदार्थों का सेवन करना चाहिये जो हमें भीतर से ठंडक दें ताकि बाहर की गर्मी हमें प्रभावित ना कर सके।
हर मौसम में शरीर की आवश्यकताएं अलग होती हैं। पर आजकल विकसित फूड प्रोडक्शन तकनीक और बेहतर सप्लाई चेन की वजह से आपको लोकल क्रॉप के अलावा दूर दूर पैदा होने वाली फल सब्जियां भी हर समय उपलब्ध रहती हैं। आप जब भी ग्रॉसरी शॉप जाएंगें तो आपको हर मौसम के उत्पाद हर समय दिखते हैं। हममें से बहुत कम लोग मौसमी फल सब्जियों व अनाज के बारे में जानते हैं।
यहाँ आपको गर्मी के मौसम में मिलने वाले फूड आइटम्स की जानकारी दी जा रही है ताकि आप सही सिलेक्शन कर सकें।
मौसमी फल:
तरबूज, खरबूज, आम, संतरा, लीची अंगूर ये इस मौसम के विशेष फल हैं। आप मार्केट में भले ही हर तरह के फल देखते होंगे पर गर्मियों के फल ज्यादातर जूसी होते हैं क्युंकि हमें अधिक मात्रा में लिक्विड की आवश्यकता होती है। तो इन मौसमी फलों से हमारे शरीर को पानी के अलावा आवश्यक विटामिन्स और मिनरल्स भी उपलब्ध हो जाते हैं।
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समर ड्रिंक्:
गर्मी के मौसम में पसीने के रूप में अधिक पानी बाहर निकल जाता है, इसीलिए बहुत आवश्यक है की इस पानी की भरपाई करी जाए। अगर हम अपनी पुरानी संस्कृति को देखें तो इस समय कई तरह के शर्बत का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। प्रकृति ने हमें कई ऐसे विकल्प दिए हैं जैसे लेमन, कोकम, खस, रोज़, सेंइत्यादि जिनका उपयोग शर्बत या शिकंजी के रुप में कर सकते हैं। ठंडाई, लस्सी, छांछ, शुगरकेन जूस कुछ ऐसे पेय पदार्थ हैं जो इस मौसम के लिए बहुत उपयुक्त हैं। विज्ञापनों में दिखाए जाने वाले कोल्ड ड्रिंक्स की वास्तविकता जानने पर आपको पता लगेगा कि ये सब सिर्फ आपको ठंडक का एहसास करते हैं वाकई में तो ये सिर्फ डीहाइड्रेट ही करते हैं।
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स्पाइसिस और हर्ब्स:
किचन में उपलब्ध कुछ मसालों की प्रकृति ठंडी होती है जैसे जीरा, सौंफ, खस खस, हरी इलाईची, पुदीना इत्यादि। आप स्वयं उपयोग करके इसका प्रभाव महसूस कर सकते हैं। गर्मियों के मौसम में हम सभी का डाइजेशन कमजोर हो जाता है जिसकी वजह से गैस, एसिडिटी, अपच, पेट फूलना इस तरह की समस्याएं ज्यादा होती हैं। आयुर्वेद के अनुसार गर्मियों में पित्त बढ़ जाता है, तो ऐसे भोज्य पदार्थ जिनमें पित्त शामक प्रवृति होती है वो शरीर की गर्मी को संतुलित रखते हैं। साथ ही डाइजेशन से संबंधित रोगों को सही रखने में सहायक हैं।
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समर ग्रेन्स:
हालांकि व्हीट और राइस को वर्ष भर उपयोग किया जा सकता है। पर अगर मिलेट्स की बात करें तो ज्वार और रागी प्रभाव में ठंडे होते हैं और गर्मियों में इनका उपयोग बहुत ही लाभकारी रहता है। सत्तू गर्मियों में उपयोग किये जाने वाला विशेष आटा है जिसे गेहूं चना जौ इत्यादि को रोस्ट करके पीसकर बनाया जाता है। चने का सत्तू आजकल एक सुपरफ़ूड बनकर उभरा है यह एक पावरफुल प्रोटीन ड्रिंक है जिसे आप मीठे या नमकीन दोनों तरह से खा सकते हैं।
गुलकंद:
गुलकंद गर्मियों की एक विशेष रेसपी है जिसे देसी गुलाबों की पंखुड़ियों को शुगर सिरप में मिक्स करके धूप में रखकर तैयार किया जाता है। यह बहुत ही एरोमेटिक और कूलिंग मिक्स है जिसे आप ठंडे दूध में या फिर लंच के बाद पान के पत्ते के साथ खा सकते हैं। ये डाइजेशन से संबंधित समस्याओं को सही करने में बहुत प्रभावी है।
क्रीपर वेजीटेबल:
इस मौसम की सब्जियां जैसे लौकी टोराई, परवल, ककड़ी, टिंडा, खीरा करेला, वनकरेला, टिंडली इत्यादि है। इनमें से ज्यादातर खुद के पानी में ही पक जाती हैं। ये सभी मिनरल्स और वाटर सॉलयूबल विटामिन से भरपूर होती हैं। हल्की और सुपाच्य होती हैं।
हमारे पुराने प्रचलन के भोजन के ज्ञान की जानकारी करिए तो चाहे मार्केट भले ही वर्ष भर चीजों की उपलब्धता कराए पर आप अपने ज्ञान का उपयोग करके वही चुनिये जो मौसमी हो और आपके एरिया में ही उगाया जाता हो, यानि सीजनल और लोकल को महत्व दीजिए। एक समझदार गार्जियन होने के नाते ज्ञान अपनी अगली पीढ़ी को भी हस्तांतरित करिए ताकि वो भी इसका लाभ ले सकें। बदलते मौसम के अनुरूप भोजन करिए ताकि आप अधिक स्वस्थ रह सकें। और मौसम का आनंद ले सकें।
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