हमारे शरीर का स्ट्रक्चर बोन्स द्वारा निर्धारित होता है, बोन्स हमारे शरीर को एक निश्चित ढांचा प्रदान करती हैं। ये बोन्स मसल्स, लिगामेंट्स और नर्व यानि सूक्ष्म तंत्रिकाओं से जुड़ी होती है, जो शरीर के मूवमेंट और संवेदनाओं का आदान प्रदान के लिए उत्तरदायी है।
सही पॉश्चर का मतलब है कि जब भी खड़े हैं, बैठे हैं, लेटे है या किसी भी तरह का कार्य कर रहे है, तो उसके ही अनुसार ये, एसोसिएटड मसल्स, लिगमेंट्स और नर्वस रिलेक्स पोजिशन में रहें। गौर तलब बात ये है कि, गलत पॉश्चर आपके किसी भी मूवमेंट में या रिलेक्स होने में भी इन मसल्स लिगामेंट्स और नर्वस पर अनावश्यक दवाब डालता है जो कि तात्कालिक प्रभाव से दर्द के रूप मे महसूस होता है और समय के साथ या तो किसी गंभीर बीमारी या फिर किसी विक्रति मे परिवर्तित हो जाता है।
स्वाभाविक रूप से हमारी रीढ़ की हड्डी यानि स्पाइनल कॉर्ड का शेप सीधा नहीं है, बल्कि ये थोड़ा सा कर्व लिए हुए S के आकार की है। तो जब भी कहा जाए कि आपको अपनी स्पाइनल कॉर्ड सीधी रखनी है इसका मतलब है आपको इस नेचुरल शेप को बनाए रखना है। इसी प्रकार हाथों, पेरों और चिन की भी एक सामान्य पोजिशन है।
कुछ दैनिक कार्यों को करते समय हमारी सही मुद्रा कैसी होनी चाहिये इसके बारे में यहाँ कुछ गाइडलाइंस दी गई हैं –
करेक्ट सिटिंग पॉश्चर/बैठने की सही मुद्रा:
- कुर्सी पर बैठते समय सीधे बैठें, आपके कंधे, पीठ और हिप्स कुर्सी की बैक को टच करते रहने चाहिये।
- कुर्सी पर पीछे सट कर बैठें।
- अपने वेट को बराबरी से दोनों हिप्स पे मेनेज करें किसी एक तरफ झुक कर ना बैठें।
- अपने दोनों पैरों को जमीन पर रखें, क्रॉस लेग करके ना बैठें।
- एक ही पोजिशन में एक घंटे से ज्यादा बैठने को अवॉइड करें इससे, ना केवल आपको बैक पेन से राहत मिलेगी बल्कि लंबे समय तक एक ही जगह बैठे रहने की वजह से होने वाली आधुनिक लाइफस्टाइल बीमारियों से भी आप बचे रहेंगे।
ह्यूमन शरीर मूवमेंट के लिए बना है ना कि लंबे समय तक एक जगह बैठे रहने के लिए अगर काम के चलते आपको बैठना भी पड़ता है तो बीच बीच में इस को ब्रेक करते रहिए।
करेक्ट ड्राइविंग पॉश्चर/सही गाड़ी चलाने की मुद्रा:
- अपने कमर के कर्व को सपोर्ट करने के लिए कुशन या पिलो रखें। अपने घुटनों को अपने हिप्स के समान या फिर ऊंचे लेवल पर रखें।
- अपनी ड्राइविंग सीट को ऐसे एडजस्ट करें कि आपके घुटने मुड़े रहें और पैर पेडल तक आराम से पहुँच जाएं।
करेक्ट स्लीपिंग पॉश्चर/सही सोने की मुद्रा:
- अपना गद्दा/ मैटरेस फर्म चुनें।
- ऐसी मुद्रा में सोएं की आपका नेचुरल स्पाइनल कर्व बना रहे।
- सीधे सोते समय घुटनों के नीचे और साइड सोते समय घुटनों के बीच में एक पिलो रखने से आप अपना पॉश्चर बहुत अच्छे से मेनेज कर पाएंगे।
करेक्ट स्टेनडिंग पॉश्चर/खड़े होने की सही मुद्रा:
- सीधे खड़े हो अपना हेड सीधा रखें और चिन अंदर की तरफ।
- आपके कान आपके कंधों एक सीधी रेखा मे हो।
- आपके कंधे पीछे की तरफ और घुटने और बैक सीधे हों।
- अपने मिड रीजन यानि पेट के आप पास की मसल्स भीतर की तरफ हों।
- आपके पैरों के बीच की दूरी उतनी हो जितनी आपके कंधों के मध्य है।
- हाँथ नॉर्मल नीचे की तरफ रखें।
- दोनों पैरों पर बराबर वजन हो और वजन का डिस्ट्रीब्यूशन औरे तलवे पर हो ना कि हील या टोज़ पर।
गलत पॉश्चर के संकेत:
दर्द – गलत पॉश्चर का पहला संकेत दर्द के रूप में सामने आता है।जब भी कभी आपको किसी पर्टीकुलर जगह दर्द हो तो आप पेन किलर लेने के बजाय इसपे ध्यान दें कि कहीं किसी गलत तरीके से बैठने खड़े होने या चलने की वजह से तो दर्द नहीं है, पहले उसे सही करें।
सुन्नपन – अगर गलत पॉश्चर की वजह से कोई नर्व दबने लगती है तो उस जगह नंबनेस या सुन्नपन होने लगता है।
सही पॉश्चर के लाभ:
दर्द से राहत – पॉश्चर सही करते ही सबसे पहला आराम दर्द में ही आता है। पीठ और गरदन के दर्द में रिलीफ़, मसल्स में रिलेक्स फ़ील तुरंत शुरू हो जाता है।
अन्य गंभीर रोगों से राहत – जॉइन्ट पेन, आर्थराइटिस, स्पाइनल डिस्क प्रॉब्लम, नर्वस की सिकुड़न ये सब लंबे समय तक गलत पॉश्चर से होने वाली बीमारियाँ है जिन्हें सही मुद्रा अपनाकर रोक जा सकता है।
स्मार्ट लुक – सही तरह के पॉश्चर से व्यक्ति स्मार्ट, स्लिम दिखता है बैक पर कोई उभर नहीं दिखता है, ये सारे मिलकर आपकी पर्सनेलिटी को इंप्रेसिव बनाते हैं और साथ ही आपका आत्म विश्वास भी बढ़ाते हैं।
प्रॉपर ब्रीदिंग – सही पॉश्चर अपनाने से आपके श्वसन के रास्ते अच्छे से खुले रहते है, जिससे सही मात्रा में ऑक्सीजन लंग्स तक और सभी अंगों तक पहुंचती है। जिससे आपको जल्दी थकान महसूस नहीं होती और आप ज्यादा समय तक फ्रेश और एनर्जेटिक फ़ील करते है।
तो अब आप जान गए हैं कि आपको सही पॉश्चर से कितने लाभ हैं, तो इसे अपनाइए और अपने जीवन का आनंद लीजिए…