ऑयल, कुकिंग का बहुत महत्वपूर्ण भाग है जो कि भोजन को स्वाद, सुगंध देने के साथ ही उसे कुकिंग के प्रोसेस में जलने से बचाता है। समय समय पर फूड इंडस्ट्री कुछ विशेष तरह के प्रोडक्ट, प्रॉफिट के लिए, कुछ अलग तरह का प्रचार करने लगती है। आजकल जैसे लाइफस्टाइल डिजीज अपने पैर पसार रही है। साथ ही पूरी तरह से हार्ट डिजीज का ब्लेम कुकिंग ऑयल को ही दे दिया जाता है। ऐसे में सही कुकिंग ऑयल का चुनाव करना वाकई मुश्किल हो जाता है। पूरा मार्केट विज्ञापन से भरा हुआ है, ऐसे में बहुत जरूरी है ऑयल मैनुफैक्चरिंग और मार्केटिंग से संबंधित टर्म्स जानने और समझने की।
रिफाइंड या फिल्टर्ड ऑयल – सबसे पहले तो आपको पता होना चाहिए कि ऑयल की एक्सट्रेक्शन की स्टेजेस और टर्म्स क्या है। जब किसी ऑयल सीड से ऑयल निकला जाता है तो फर्स्ट स्टेज का ऑयल क्रूड ऑयल कहलाता है। दूसरी स्टेज, फिज़िकल फिल्ट्रेशन की होती है जिससे गुजरने के बाद इसको फिल्टर्ड ऑयल कहते हैं। इसके बाद की स्टेज से ऑयल रिफाइंड या लास्ट स्टेज में डबल रिफाइंड ऑयल कहलाता है।
क्रूड ऑयल खाने योग्य नहीं होता है, क्योंकि ये बहुत जल्दी खराब हो जाता है। फिल्टर्ड ऑयल में ऑयल सीड की सारी गुड़नेस होती है। ये थोड़ा तीखा होता है, चिपचिपा होता है और जिस भी सीड से निकाला गया होता है उसकी स्मेल और स्वाद भी पर्याप्त मात्रा में होती है। ऐसे तेल में जब आप खाना बनाते है तो उसमे झाग भी आता है और झांस भी।
अब इसके बाद शुरू होती है रिफाइन्ड ऑइल की प्रक्रिया; एक बार जिन ऑयल सीड से, ऑयल निकाल चुका है उसकी खली या ऑयल केक्स में केमिकल मिलाकर फिर से जो ऑयल एक्सट्रेक्ट किया जाता है वह रिफाइंड ऑयल होता है। ऐसे तेल दिखने में क्लियर होते है इनमें चिपचिपाहट कम होती है साथ ही स्मेल और पंजेंसी भी कम होती है। प्रोसेसिंग में ये ऑयल अपनी गुडनेस खो चुकते है तो भले ही आप टीवी पर इनके विज्ञापन से प्रभावित हो पर ये आपके स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल सही नहीं है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि डबल रिफाइंड ऑयल और भी बदतर है।
लोकल या इंपोर्टेड ऑयल –
हम जहां जिस माहौल में बड़े होते है हममें वहीं जैसे व्यवहार विकसित होते है। ऐसे ही पौधों का है। प्रकृति ने वातावरण के हिसाब से ही प्लांट्स का वितरण किया है और मदर नेचर ज्यादा बेहतर जानती है कि क्या हमारे लिए अच्छा है। तो इसमें कोई भी प्वाइंट नहीं है कि लोकल बेहतर है या इंपोर्टेड। इंपोर्टेड ऑयल वहां के लिए ही अच्छा है जहां से वह एक्सपोर्ट हो रहा है।
अगर आप भारत के प्लेन या पर्वतीय इलाके में रह रहे है तो आपके लिए सरसों का तेल, तिल का तेल या फिर मूंगफली का तेल बेस्ट है। अगर आप कोस्टल इलाके के है तो नारियल तेल आपके लिए बेहतरीन है और हां अगर आप इटली के है तो जरूर आपके लिए ऑलिव ऑयल ही बेहतर है।
कोलेस्ट्रॉल और नो कोलेस्ट्रॉल –
एक जानने योग्य फैक्ट है कि कोलेस्ट्रॉल कभी भी पौधों से प्राप्त चीजों में नहीं होता है। ऑयल हमें ऑयल सीड से मिलता है, तो किसी भी तरह यह संभव नहीं कि कुकिंग ऑयल में कोलेस्ट्रॉल पाया जा सके। अगर ऑयल के पैक पर आप देखते है कि नो कोलेस्ट्रॉल तो ये सिर्फ एक मार्केट गिमिक है।
PUFA या MUFA – मोनो अन सैचुरेटेड फैटी एसिड और पोली अन सैचुरेटेड फैटी एसिड ये दोनों ही संतुलित मात्रा में हर फिल्टर्ड ऑयल स्रोत में पाए जाते हैं। MUFA रूम टेम्परेचर पर लिक्विड होता है और ठंडक में सॉलिड हो जाता है। PUFA रूम टेम्परेचर पर लिक्विड होते है और ठंडक में भी लिक्विड ही बने रहते हैं।
तो ऑयल बुरा नहीं है, इसकी अति जरूर बुरी है। आप मॉडरेशन में फिल्टर्ड ऑयल अपने कुकिंग में इस्तेमाल करें। आजकल की लाइफस्टाइल में जो एक फैक्टर वाकई खराब है, वह है लंबे समय तक एक जगह बैठे रहना सो उसकी आदत हटाइए। एक्टिव रहिए और अपनों के साथ अपने जीवन का आनंद लीजिए।