कोलेस्ट्रॉल शब्द को हार्ट डिसीज का मुख्य कारण माना जाता है। ऐसा नहीं है कि इसका हार्ट से कोई संबंध नहीं है पर यह इकलौती वजह नहीं है, आजकल के बढ़ते हुए हार्ट संबंधी समस्याओं की। मॉडर्न लाइफ स्टाइल और गलत फूड सिलेक्शन हार्ट डिसीज के पीछे का बहुत बड़ा कारण है। आधुनिक रिसर्च से ये तथ्य प्रमाणित हो गया है की आर्टेरीज में होने वाला इंफ्लेमेशन हार्ट डिसीज ही मुख्य कारण है।
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार:
अगर हम लिपिड प्रोफ़ाइल पर गौर करें तो पता चलेगा कि कॉलेस्ट्रोल मुख्यतः तीन प्रकार के हैं –
- गुड कोलेस्ट्रॉल- HDL हाई डेन्सिटी लाइपो प्रोटीन
- बेड कोलेस्ट्रॉल- LDL लो डेन्सिटी लाइपो प्रोटीन,
- VLDL वेरी लो डेन्सिटी लाइपो प्रोटीन
कोलेस्ट्रॉल लिवर द्वारा निर्मित होने वाला एक वैक्सी सब्सटेन्स है, जो कि विटामिन डी के निर्माण के लिए आवश्यक है और साथ ही यह डाइजेशन में भी सहायक है। तो यह तो साबित है कि कोलेस्ट्रॉल कोई विलेन नहीं है बल्कि अगर हम पूरी तरह से इसके खाद्य स्रोत को बंद भी कर दें तो भी लिवर द्वारा इसका निर्माण होता है। तो हमें फोकस करना है कि हम बेड कोलेस्ट्रॉल के स्रोत को पूर्णतया रोकें साथ ही अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा उचित रखें।
इसे कैसे किया जा सकता है इसके लिए कुछ गाइडलाइंस निम्न हैं –
फैट का सही चयन: कुछ सेचुरेटिड फैट और ट्रांस फैट बेड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं
इसीलिए रेड मीट, हाइड्रोजिनेटिड वेजिटेबल ऑइल इत्यादि को पूर्णतया अवॉइड करें। अगर आप ध्यान से पेकेज्ड फूड आईटम्स का लेबल पढ़ेंगे तो पाएंगे बिस्किट्स, नमकीन चिप्स, नाचोज, केक के इंग्रेडिएन्ट्स में ये जरूर होते हैं।
इसके विपरीत देसी गाय का घी, नट्स, सीड्स, फिल्टर्ड या फिर कच्ची घानी के ऑइल्स अच्छे फैट के स्रोत हैं।
फ़ाइबर: फाइबर दो तरह के होते हैं-
- सॉल्यूबल फ़ाइबर
- इनसॉल्यूबल फ़ाइबर
ये दोनों ही प्रकार के फ़ाइबर झाड़ू की तरह काम करते हैं और हानिकारक जमे हुए वेस्ट को गट से बाहर निकालकर आंतरिक सफाई कर शरीर का डीटाक्स करते हैं। इसके लिए आपको अपनी डाइट में कुछ अलग से ऐड करने की जरूरत नहीं है, बल्कि साबुत दालों, मिलेट्स, साबुत अनाजों, मौसमी फल और सब्जियों मे पर्याप्त मात्रा में फ़ाइबर उपस्थित होता है। जरूरत है बस सही अनुपात में इन्हे रूटीन में खाने की।
ईसबगोल की भूसी फ़ाइबर का अच्छा सप्लीमेंट है, जिसे आप पानी या दही के साथ खा सकते हैं।
एक्टिव रहें: एक्टिव रहने से तात्पर्य है कि हफ्ते में कम से कम पाँच दिन रोज आधे घंटे की एक्सर्साइज़ करने से है और इसके अलावा दिन में किसी भी एक जगह एक घंटे से अधिक लगातार बैठे ना रहें। एक्सर्साइज़ भी हफ्ते का रूटीन बना लें जिसमें कार्डियो, स्ट्रेंगथ ट्रैनिंग, योग और ब्रिस्क वाक को शामिल करें।
ये बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है एक बार आदत बना लेने पर शरीर में जो हल्कापन और फुर्ती महसूस होती है उसका एहसास करके तो देखिए।
ओमेगा 3-फैटी एसिड: लिपिड प्रोफाइल मेनेज करने में ओमेगा 3 फैटी एसिड अत्याधिक सहायक है इसके सप्लीमेंट्स भी उपलब्ध हैं, जो कि सेफ होते हैं पर फिर भी डॉक्टर की सलाह से ही लेने चाहिये।
अखरोट, साल्मन फिश, फ्लेक्स सीड्स, बादाम, अखरोट इत्यादि ओमेगा 3 फैटी एसिड के प्रभावी स्रोत हैं।
सभी रिफाइन्ड फूड आइटम्स का त्याग: अपने किचन से सभी रिफाइन्ड आइटम्स को बाहर करिए क्यूंकि ऐसी सभी चीजें आंतों में चिपक जाती है और शरीर से बाहर नहीं निकल पाती हैं। ऐसे में ये पदार्थ टॉक्सिनस का कार्य करते हैं हर तरह तरह के रोगों का कारण बनते हैं। तो रिफाइन्ड शुगर, आटा और ऑइल्स को अपने लाइफस्टाइल से बाहर करिए। तो बजाय स्टेटिन की गोलियां खाने आप इन प्राकर्तिक चीजों से अपने लिपिड प्रोफाइल को बेहतर करने की कोशिश करिए और अपने जीवन का आनंद लीजिए।