ब्लड हमारे शरीर में एक ऐसा माध्यम है जो सभी इन्टर्नल अंगों को कनेक्ट करता है। ब्लड शरीर में हॉर्मोन्स, न्यूट्रीएंट्स का कैरिएर होता है। या यूं कहें तो ये शरीर के इन्टर्नल अंगों का मैसेंजर है। ऐसे में इसका शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक है।
ब्लड इम्प्यूरीफीकेशन के प्रमुख कारण:
हमारी आधुनिक जीवन शैली की कुछ आदतें और कुछ वातावरण की परिस्थितियां से ब्लड इम्प्योर हो जाता है।
- नींद सही से पूरी ना होना,
- प्रोसेस्ड फूड खाना (जिसमें सीधे सीधे केमिकल्स मिले होते हैं),
- मील स्किप करना,
- प्रदूषण, इत्यादि से जो भी एलीमेंट्स हमारे अंदर प्रवेश कर जाते हैं, या फिर
- तनाव की वजह से जो इन्टर्नल क्रियाओं मे जो तत्व (फ्री रेडिकल्स) रिलीस होते हैं उन सभी की वजह से ब्लड इम्प्योर हो जाता है।
ब्लड इम्प्युरिटी के रिजल्ट्स:
ब्लड इम्प्योर होने से शरीर के इन्टर्नल बैलन्स में गंभीर असंतुलन हो जाता है इसके संकेत हमारे शरीर में स्वतः ही दिखने लगते है जैसे;
- स्किन एलर्जी,
- कार्डीऐक प्रॉब्लेम्स,
- हाई ब्लड प्रेशर,
- बालों का झड़ना,
- सरदर्द,
- भारीपन, इत्यादि
ऐसी परिस्थिति अवॉइड करने वाली कतई नहीं है। इस पर तुरंत काम करना जरूरी है। इसकी शुरूआत हम अपने भोजन से करते हैं, दैनिक रूप से भोजन में कुछ ऐसी चीजें शामिल करें जिनमें इन इंप्युरिटी को दूर करने की क्षमता हो ताकि ब्लड हमेशा प्योर रहे।
ब्लड प्युरीफिकेशन मे लिवर का रोल:
ब्लड प्युरिफिकेशन का मुख्य काम हमारा लिवर करता है इसलिए लिवर को मजबूत बनाना और उसकी कार्यक्षमता बढ़ाने वाले भोजन, ब्लड के प्युरिफिकेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ अब हम टॉप 4 फूड आइटम के बारे में जानेगे जिनमे ब्लड के शुद्धिकरण की अपार क्षमता है, और हाँ ये आप के किचन में ही मौजूद रहते हैं।
ब्लड प्युरीफिकेशन करने वाले फूड आइटम:
बीटरूट/चुकंदर : बीट रूट लिवर प्रोटेक्टिव फूड है। इसमें ब्लड की इम्प्योरिटी को शरीर से बाहर निकालने की अद्भुत क्षमता होती है। इसमें मेथिऑनिन और ग्लायसीन होते है ये तत्व ब्लड में इंप्युरिटी के जमाव को रोकने में सक्षम हैं। ये लिवर की कोशिकाओं को ब्लड प्योरीफ़ाई करने के लिए ऐक्टिवेट करता है। इसके अलावा चुकंदर में कुछ फाइटोन्यूट्रीएंट्स जैसे बिटालेन भी होता है जो कि एंटी ऑक्सीडेंट है और डीटाक्सीफिकेशन का काम करता है।
कैबेज/पत्तागोभी: आयुर्वेद में केबेज को ब्लड प्यूरीफायर की तरह जाना जाता है। ये क्रूसीफेरस फेमिली की वेजीटेबल है, इस फेमिली की वेजीटेबल्स हेवी टॉक्सिंस को शरीर से बाहर निकालने के लिए बेहतरीन मानी जाती हैं। इसमें ग्लूकोसिनोलेट नामक तत्व पाया जाता है जिसकी वजह से यह कार्सिनोजेन्स (कैंसरकारी तत्व) को शरीर से बाहर निकालने में सक्षम है। केबेज में पर्याप्त मात्रा में फ़ाइबर होता है, जो लिवर को साफ रखने में सहायक है। iइसमें सल्फर की मात्रा अधिक होती है इस वजह से इसकी डेटॉक्सीफाइंग क्षमता यानि शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने की ताकत अधिक है।
टर्मरिक मिल्क/हल्दी दूध: हल्दी में गजब की हीलिंग पावर होती है। हल्दी हमारे शरीर की हीलिंग प्रोसेस को बढ़ाकर ब्लड को शुद्ध करने में अत्यधिक सहायक है। हल्दी दूध शरीर में लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में अधिक सहायक है। हल्दी में पाए जाने वाला करक्यूमिन एलीमेंट शरीर में होने वाले इंफ्लेमेशन को क्योर करता है और साथ ही ब्लड से संबंधित अनियमितताओं को ठीक करता है। कैंसर सेल्स की वृद्धि रोकने में अत्यधिक प्रभावी है। कुछ पदार्थ कॉम्बीनेशन में बहुत अच्छा रिजल्ट देते है, ऐसा ही कॉम्बीनेशन हल्दी दूध और काली मिर्च का है। आधा चम्मच हल्दी दो से तीन काली मिर्च एक ग्लास दूध में पीने से आपका ब्लड शुद्ध बना रहेगा।
शुगरकेन जूस/गन्ने का रस: आयुर्वेद के अनुसार गन्ने का जूस पित्त शामक होता है यानि यह शरीर में पित्त को बेलेन्स करता है। शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने के साथ ही यह शरीर की गर्मी को बेलेन्स कर कूलिंग इफेक्ट लाता है। लिवर के साथ ही यह गट को भी क्लीन करता है जिसके फलस्वरूप वजन कम करने में भी सहायक है। सर्दियों में अधिकांशतः लोग पानी कम पीते है, ऐसे में गन्ने का जूस वाटर बेलेन्सिंग का भी काम करता है।
इम्प्योर ब्लड शरीर में भली प्रकार सर्कुलेशन का काम नहीं कर पता है तो आप इन चारों फूड इटेम्स को अपने दिनचर्या में लाइये। अपने आप में होने वाले फर्क महसूस करिए और जीवन का आनंद लीजिए…