डिप्रेशन शब्द को ज्यादातर हम लोग मानसिक समस्या मानते है, पर वास्तव में डिप्रेशन बार बार की शारीरिक थकान से शुरू होकर मानसिक थकान तक पहुंच जाता है। हमारा शरीर थकान के सिगनल दे रहा होता है पर हम या तो उसे इग्नोर करते हैं या किसी ऐलोपैथिक दवा से दबा देते हैं। पर चूंकि शरीर के विकारों से हमारी रोजमर्रा का काम अटकता है तो उस पर ध्यान तो देते है, और किसी डॉक्टर से कभी कभार सलाह भी लेते हैं पर इसके द्वारा होने वाले दूरगामी मानसिक थकान पर उतनी सजगता नहीं दिखाते, ना ही कभी किसी से कन्सल्ट करते हैं।
यहाँ हम बात करेंगे शारीरिक थकान से होने वाली मानसिक अवसाद की, जो हमारे जीवन पर विपरीत प्रभाव डालता है। कई लोग इसे हमेशा ढोते रहते हैं, जबकि सतर्कता से समय रहते इसे रिवर्स भी किया जा सकता है। मानसिक अवसाद अगर लंबे समय तक रहता है तो शरीर में स्ट्रेस हॉर्मोन (सीरम कॉर्टिसॉल और ब्लड लेक्टेट) बढ़ जाते हैं और यही आगे जाकर मानसिक बीमारियों में परिवर्तित हो जाते हैं।
खुद को डिप्रेस मानना अभी भी एक सोशल स्टिग्मा या कहे टैबू बना हुआ है। अगर आप शुरुवाती समय में इस लक्षण को पहचान लेते है, और ये स्वीकार कर लेते है कि आप इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं तो कुछ आसन उपायों से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। तो चलिए कुछ तरीके जानते है डिप्रेशन को बीट करने के –
गहरी साँसे लीजिए: लगातार एक ही धुन में काम करने से बचिए, काम के बीच में छोटे छोटे ब्रेक आवश्यक हैं और कुछ गहरी साँसे जरूर लीजिए। अपनी व्यस्त जीवन शैली में से कुछ समय दैनिक रूप से इसके लिए निकालिए। इसे अपनी आदत बनाइये। डीप ब्रीथ से शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचती है जिससे फ्रेशनेस रहती है।
सही भोजन करें: कई बार जब हम स्ट्रेस्ड होते है तो अनावश्यक ही खाने लगते हैं, ये ऐसी आदत होती है जिसका वास्तविक भूख से कोई संबंध नहीं है। ज्यादातर ऐसे में शुगरी फूड आइटम्स खाने का ही मन होता है। इस आदत को कंट्रोल करिए, क्यूंकि ये आपको और भी स्लगिश बना देगी। इसकी जगह बेलेंस्ड भोजन करिए, हरी सब्जियों की मात्रा बढ़ाइए, जिनमें मेग्नीशियम और अन्य आवश्यक मिनरल्स प्रचुर मात्र में पाए जाते है जिनकी वजह से आपके शरीर में हॉर्मोनल बेलेन्स बना रहता है जो अच्छे स्वास्थ के लिए आवश्यक है।
पर्याप्त नींद लें: जब आप सो रहे होते हैं तो आपका शरीर रिपेयर मोड में होता है। उस समय कई ऐसी गतिविधियां होती है जो आपको रिजुवनेट करती है इसीलिए आवश्यक है कि हर रोज आपकी नींद पूरी हो। इसके लिए आप बेड टाइम रूटीन फॉलो करें। अगर आप को अच्छा लगता है तो सोने से पहले एक ग्लास गरम दूध ले सकते है। सोते समय अपनी फेवरेट म्यूजिक सुन सकते है या फिर अपनी मनचाही पुस्तक पढ़ सकते हैं।
लोगों से कनेक्ट और शेयर करिए: ज्यादातर लोग ऐसी परिस्थिति से गुजरते समय अपने आप को लोगों से डिसकनेक्ट कर लेते है। बल्कि अपने शुभचिंतकों से अपने मन की बात शेयर करने से मन हल्का होता है और कई बार शेयर करने से समस्या का आसन हल भी निकाल आता है। अपनी समस्या दूसरों से कहना कमजोरी नहीं है बल्कि ये एक तरह का साहस है की जिस परेशानी से आप गुजर रहे हैं उसे आप दूसरों से साझा कर रहे हैं।
नकारात्मकता त्यागिए: नकारात्मकता एक तरह का मानसिक भय है जो कि किसी विषय पर अत्यधिक सोचने से उत्पन्न होता है। इसके लिए आप अपने शौक को समय दीजिए, जो भी काम करके आपको वाकई खुशी मिलती है उसे करिए। अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए कोई जॉब करिए।
कभी कभी निराशा होना बहुत स्वाभाविक है पर अगर यह आदत बन रही है तो कुछ प्रयास अपने तरफ से करिए, कम से कम डिप्रेशन को हावी मत होने दीजिए। ज़िंदगी बहुत खूबसूरत है इसका आनंद लीजिए….