ये जान के आप को आश्चर्य और गर्व होगा की प्राचीन काल से ही भारतीय ज्योतिष विज्ञान को वैश्विक रूप से अपनाया गया था, इसका एक उदाहरण डॉक्टरों द्वारा ली जाने वाली हिप्पोक्रेटिक ओथ मे भी मिलता है। आधुनिक पाश्चात्य चिकित्सा विज्ञान के जन्मदाता “हिपोक्रेट्स” का पूरा नाम हिपोक्रेट्स अस्केलेपिड्स था एवं इनका जन्म प्राचीन यूनान (5th सेन्चरी BCE) के “कोल” नामक स्थान में हुआ था। इनके द्वारा स्थापित उच्च मानदंडो के पालन के लिए आज भी चिकित्सा विज्ञान के विद्यार्थी “हिप्पोक्रेटिक ओथ” लेते हैं।
अब आप के मन में ये सवाल होगा कि ज्योतिष और सर्जरी बीच मे क्या संबंध है?
सर्जरी की सफलता के लिए हिपोक्रेट्स ने डॉक्टर को आवश्यक रूप से यह सावधानी बरतने को सलाह दी है कि – “शरीर के उन अंगों की सर्जरी उस समय नहीं करनी चाहिए जिस समय उन अंगों का प्रतिनिधित्व करने वाली ज्योतिषीय राशि में चंद्रमा का संचार हो रहा हो।” हिपोक्रेट्स ने स्पष्ट कहा है इस नियम की अवहेलना कर की जाने वाली सर्जरी के तीन असफल परिणामों में कोई एक हो सकते हैं –
१. संक्रमण एवं जटिलता
२. असामान्य धीमा एवं कष्टकर आरोग्य – लाभ
३. मृत्यु
इसे कुछ उदाहरण से और अच्छी तरह समझने की कोशिश करते हैं –
- सिंह राशि के चन्द्र संचार में हृदय को,
- कन्या राशि में चन्द्र के संचार की अवधि में बड़ी एवं छोटी आंत तथा पेन्क्रियास से सम्बंधित सर्जरी नहीं की जानी चाहिए।
चंद्र की गति अन्य ग्रहों की तुलना में सर्वाधिक है। ये एक राशि में लगभग सवा दो दिन रहते हैं। किसी ज्योतिषी से सलाह कर आप इस चंद्र के संचार की जानकारी आसानी से ले सकते है।
हिपोक्रेट्स की सोच भारतीय ज्योतिष से प्रभावित रही थी। उनके अनुसार एक अच्छे चिकित्सक के लिए ज्योतिष विद्या के ज्ञान को आवश्यक माना गया है। कितना अद्भुत है कि भारत का प्राचीन ज्योतिष विज्ञान आज भी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान को गाइड करता है।
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– अजय सिन्हा
आचार्य फलित ज्योतिष एवं औरा विश्लेषक
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