PCOS हालांकि एक डिफिकल्ट सिचुएशन है पर सही डाइग्नोस होने के बाद जितनी जल्दी आप इसे मेनेज करने में सफल होते है उतनी ही जल्दी आप इस सिचुएशन को रिवर्स कर सकते हैं।
PCOS मेनेज करने के कुछ मेन पॉइंट्स हैं-
- यह जानने की कोशिश करिए कि आपके PCOS होने के क्या कारण हैं?
- अपने जीवनशैली(खान-पान, एक्सर्साइज़ और स्ट्रेस मेनेजमेंट) में सकारात्मक परिवर्तन
- उचित मेडिकल थेरेपी
हर फ़ीमेल में PCOS की वजह अलग अलग हो सकती है, तो आप अपनी ब्लड रिपोर्ट्स, आपके ऊपर होने वाले फिजिकल इम्पेक्ट, इत्यादि इनका विश्लेषण करके पॉइंट आउट करने की कोशिश करिए। आपके लिए इसकी सही वजह क्या है ये जानना जरूरी है क्योंकि उसके बाद ही इसे फिक्स करने का प्रोसेस शुरू होता है।
लाइफस्टाइल द्वारा PCOS मेनेजमेंट
आपको अपने फूड को मेडिसिन की तरह प्रयोग करना है, साथ ही जीवन जीने के कुछ तरीके हमेशा के लिए बदलने हैं। तो यहाँ कुछ बातें ध्यान में हमेशा रखिए…
- बिना भूख के कभी कुछ मत खाइए।
- भोजन करते समय सिर्फ खाने पर ही ध्यान दीजिए, आप पास का माहौल शांत हो ताकि आपको सही से पता चल सके कि कब आप फुल फ़ील कर रहे हैं।
- अच्छे से चबा कर खाना खाएं इससे आपका डाइजेशन बेहतर होगा।
- रिफाइन्ड अनाज, शुगर को होल ग्रेन और नेचुरल स्वीटनर (गुड, शहद, खांड इत्यादि) से रिप्लेस करें।
- सीजनल फल और सब्जियों को पर्याप्त मात्रा में लें।
- नट्स और सीड्स हॉर्मोनल इमबेलेन्स को सही करने में सहायक है इन्हे जरूर शामिल करें।
- डाइट में परिवर्तन को मन से स्वीकार करें ये कुछ दिनों का परिवर्तन नहीं है बल्कि लाइफ लॉंग चलने वाली प्रक्रिया है।
- रेगुलर एक्सर्साइज़ करें और दिन भर एक्टिव रहने को प्राथमिकता दें।
- रोज आधे घंटे का समय निकाल कर धूप में बैठे, कई सारे कॉम्प्लिकेशन विटामिन डी की कमी से होते हैं।
- अपने जीवन में ध्यान और मेडिटेशन का नियम बनाएं स्ट्रेस को आप रोक नहीं सकते पर उससे कितना प्रभावित होना है ये काफी हद तक मेनेज कर सकते हैं।
मेडिसिन द्वारा PCOS मेनेजमेंट
मेडिसिन से PCOS मेनेज करने में डॉक्टर की गाइडेंस आवश्यक है, ज्यादातर इसमें निम्न तरह की मेडिसिन दी जाती हैं-
- ओरल कोन्ट्रासेप्टिव पिल्स
- इंसुलिन रेजिसटेन्स ड्रग्स जैसे मेटफॉर्मीन
- गोनेडोट्रॉफीन हॉर्मोन
- टेस्टोस्टीरोन हॉर्मोन कम करने की मेडिसिन
- वेट कम करने की मेडिसिन
- एंटीडिप्रेसेंट ड्रग
- एंटी-एन्क्जाईटी ड्रग
इन दवाइयों के संभावित साइड इफेक्ट भी संभव है जो कि निम्न हैं –
- मूड स्विंग
- वेट गेन या वेट लॉस
- ब्लोटिंग
- ब्रेस्ट टेन्डरनेस
- अनियमित ब्लीडिंग
जरूरी नहीं ये सारे साइड एफ़ेक्ट सभी को हों इनमें से कुछ या फिर कॉम्बीनेशन में भी हो सकते हैं।
फर्टिलिटी
कुछ महिलायें जो PCOS से ग्रसित होती है उनको कन्सीव करने में भी समस्या होती है। ऐसे में मेडिकल असिस्टेंस की आवश्यकता होती है। एक स्टडी के मुताबिक 60% फीमेल्स बिना किसी मेडिकल सहायता के ही कंसीव कर लेती हैं।
ओवेरियन ड्रिलिंग एक सर्जिकल प्रोसेस है जो कि ओव्युलेशन बढ़ाने में मदद करती है। इस प्रोसेस में जनरल ऐनेस्थीसिया देकर लेप्रोस्कोप द्वारा छोटे सा इंवेजन करके ओवरी से टिशू रिमूव कर देते हैं जो कि एन्ड्रोजन प्रोड्यूस करते हैं। ऐसा करने से ज्यादातर 6-12 महीने में ओव्युलेशन रीस्टोर हो जाता है।
ओवेरियन ड्रिलिंग के साइड इफ़ेक्ट से कभी कभी स्कार फॉर्म हो जाता है जिससे कि आगे जाकर ब्लड वेसेल, ब्लेडर डेमेज होने की संभावना होती है।
वजन में कमी
बढ़ा हुआ वजन अपने साथ कई और भी समस्याएं लेकर आता है और इस रोग की गंभीरता को बढ़ा देता है। अगर आप PCOS में अपना वजन 5% भी कम कर लेते हैं तो आपको इसके सीधे सीधे फायदे महसूस होने लगेंगे।
लेप्टिन और ग्रेलिन दो हॉर्मोन्स हैं जो कि भूख और खाने के बाद संत्रपत्ता का एहसास दिलाते है ज्यादातर PCOS में इन हॉर्मोन्स का बेलेन्स सही नहीं राहत है जिससे इस कंडीशन में वजन कम करना और मुश्किल हो जाता है।
पर फिर भी धीरे धीरे वजन कम किया जा सकता है एक नॉर्मल व्यक्ति के मुकाबले PCOS में वजन स्लो रेट से कम होता है, पर होता है। वेट कम होने से आपकी मेंसट्रूएशन साइकल और ओव्युलेशन रेग्युलर होने लगती है, इंसुलिन रेजिसटेन्स लगभग 50% तक इंप्रूव हो जाती है। इसके अलावा एमोशनल हेल्थ बेहतर होती है और डाइबीटीज और हार्ट से रिलेटिड समस्याओं की भी संभावना कम हो जाती है।
तो अब आप इस बात से भली भांति परिचित हो गये होंगे कि अपने जीवन शैली मे बदलाव ला कर काफी हद तक इस क्रिटिकल सिचूऐशन को मैनेज कर सकते है। इसमे देर करने से कोई लाभ नहीं है PCOS डाइअग्नोस होने पर तुरंत इसके मैनेजमेंट के लिए कार्यरत हो जाना है। ताकि जल्द से जल्द इसे काबू मे कर आप सामान्य जीवन जी सकें।
PCOS हालांकि एक डिफिकल्ट सिचुएशन है पर सही डाइग्नोस होने के बाद जितनी जल्दी आप इसे मेनेज करने में सफल होते है उतनी ही जल्दी आप इस सिचुएशन को रिवर्स कर सकते हैं।
PCOS मेनेज करने के कुछ मेन पॉइंट्स हैं-
- यह जानने की कोशिश करिए कि आपके PCOS होने के क्या कारण हैं?
- अपने जीवनशैली(खान-पान, एक्सर्साइज़ और स्ट्रेस मेनेजमेंट) में सकारात्मक परिवर्तन
- उचित मेडिकल थेरेपी
हर फ़ीमेल में PCOS की वजह अलग अलग हो सकती है, तो आप अपनी ब्लड रिपोर्ट्स, आपके ऊपर होने वाले फिजिकल इम्पेक्ट, इत्यादि इनका विश्लेषण करके पॉइंट आउट करने की कोशिश करिए। आपके लिए इसकी सही वजह क्या है ये जानना जरूरी है क्योंकि उसके बाद ही इसे फिक्स करने का प्रोसेस शुरू होता है।
लाइफस्टाइल द्वारा PCOS मेनेजमेंट
आपको अपने फूड को मेडिसिन की तरह प्रयोग करना है, साथ ही जीवन जीने के कुछ तरीके हमेशा के लिए बदलने हैं। तो यहाँ कुछ बातें ध्यान में हमेशा रखिए…
- बिना भूख के कभी कुछ मत खाइए।
- भोजन करते समय सिर्फ खाने पर ही ध्यान दीजिए, आप पास का माहौल शांत हो ताकि आपको सही से पता चल सके कि कब आप फुल फ़ील कर रहे हैं।
- अच्छे से चबा कर खाना खाएं इससे आपका डाइजेशन बेहतर होगा।
- रिफाइन्ड अनाज, शुगर को होल ग्रेन और नेचुरल स्वीटनर (गुड, शहद, खांड इत्यादि) से रिप्लेस करें।
- सीजनल फल और सब्जियों को पर्याप्त मात्रा में लें।
- नट्स और सीड्स हॉर्मोनल इमबेलेन्स को सही करने में सहायक है इन्हे जरूर शामिल करें।
- डाइट में परिवर्तन को मन से स्वीकार करें ये कुछ दिनों का परिवर्तन नहीं है बल्कि लाइफ लॉंग चलने वाली प्रक्रिया है।
- रेगुलर एक्सर्साइज़ करें और दिन भर एक्टिव रहने को प्राथमिकता दें।
- रोज आधे घंटे का समय निकाल कर धूप में बैठे, कई सारे कॉम्प्लिकेशन विटामिन डी की कमी से होते हैं।
- अपने जीवन में ध्यान और मेडिटेशन का नियम बनाएं स्ट्रेस को आप रोक नहीं सकते पर उससे कितना प्रभावित होना है ये काफी हद तक मेनेज कर सकते हैं।
मेडिसिन द्वारा PCOS मेनेजमेंट
मेडिसिन से PCOS मेनेज करने में डॉक्टर की गाइडेंस आवश्यक है, ज्यादातर इसमें निम्न तरह की मेडिसिन दी जाती हैं-
- ओरल कोन्ट्रासेप्टिव पिल्स
- इंसुलिन रेजिसटेन्स ड्रग्स जैसे मेटफॉर्मीन
- गोनेडोट्रॉफीन हॉर्मोन
- टेस्टोस्टीरोन हॉर्मोन कम करने की मेडिसिन
- वेट कम करने की मेडिसिन
- एंटीडिप्रेसेंट ड्रग
- एंटी-एन्क्जाईटी ड्रग
इन दवाइयों के संभावित साइड इफेक्ट भी संभव है जो कि निम्न हैं –
- मूड स्विंग
- वेट गेन या वेट लॉस
- ब्लोटिंग
- ब्रेस्ट टेन्डरनेस
- अनियमित ब्लीडिंग
जरूरी नहीं ये सारे साइड एफ़ेक्ट सभी को हों इनमें से कुछ या फिर कॉम्बीनेशन में भी हो सकते हैं।
फर्टिलिटी
कुछ महिलायें जो PCOS से ग्रसित होती है उनको कन्सीव करने में भी समस्या होती है। ऐसे में मेडिकल असिस्टेंस की आवश्यकता होती है। एक स्टडी के मुताबिक 60% फीमेल्स बिना किसी मेडिकल सहायता के ही कंसीव कर लेती हैं।
ओवेरियन ड्रिलिंग एक सर्जिकल प्रोसेस है जो कि ओव्युलेशन बढ़ाने में मदद करती है। इस प्रोसेस में जनरल ऐनेस्थीसिया देकर लेप्रोस्कोप द्वारा छोटे सा इंवेजन करके ओवरी से टिशू रिमूव कर देते हैं जो कि एन्ड्रोजन प्रोड्यूस करते हैं। ऐसा करने से ज्यादातर 6-12 महीने में ओव्युलेशन रीस्टोर हो जाता है।
ओवेरियन ड्रिलिंग के साइड इफ़ेक्ट से कभी कभी स्कार फॉर्म हो जाता है जिससे कि आगे जाकर ब्लड वेसेल, ब्लेडर डेमेज होने की संभावना होती है।
वजन में कमी
बढ़ा हुआ वजन अपने साथ कई और भी समस्याएं लेकर आता है और इस रोग की गंभीरता को बढ़ा देता है। अगर आप PCOS में अपना वजन 5% भी कम कर लेते हैं तो आपको इसके सीधे सीधे फायदे महसूस होने लगेंगे।
लेप्टिन और ग्रेलिन दो हॉर्मोन्स हैं जो कि भूख और खाने के बाद संत्रपत्ता का एहसास दिलाते है ज्यादातर PCOS में इन हॉर्मोन्स का बेलेन्स सही नहीं राहत है जिससे इस कंडीशन में वजन कम करना और मुश्किल हो जाता है।
पर फिर भी धीरे धीरे वजन कम किया जा सकता है एक नॉर्मल व्यक्ति के मुकाबले PCOS में वजन स्लो रेट से कम होता है, पर होता है। वेट कम होने से आपकी मेंसट्रूएशन साइकल और ओव्युलेशन रेग्युलर होने लगती है, इंसुलिन रेजिसटेन्स लगभग 50% तक इंप्रूव हो जाती है। इसके अलावा एमोशनल हेल्थ बेहतर होती है और डाइबीटीज और हार्ट से रिलेटिड समस्याओं की भी संभावना कम हो जाती है।
तो अब आप इस बात से भली भांति परिचित हो गये होंगे कि अपने जीवन शैली मे बदलाव ला कर काफी हद तक इस क्रिटिकल सिचूऐशन को मैनेज कर सकते है। इसमे देर करने से कोई लाभ नहीं है PCOS डाइअग्नोस होने पर तुरंत इसके मैनेजमेंट के लिए कार्यरत हो जाना है। ताकि जल्द से जल्द इसे काबू मे कर आप सामान्य जीवन जी सकें।