तमिलनाडु दक्षिण भारत के प्रसिद्ध एवं सम्पन्न राज्यों में से है। इस राज्य में बनने वाले व्यंजनों का एक अलग ही फ्लेवर और टेस्ट होता है। पारंपरिक तरीके की बात करें तो तमिलनाडु में भोजन को केले के पत्ते पर परोसा जाता है। ये भी पोषण की द्रष्टि से बहुत लाभदायक है क्यूंकि, जब गरम भोजन केले के पत्ते पर रखते है तो उसकी नूट्रिशनल वेल्यू और बढ़ जाती है। पर आजकल केले के पत्ते की जगह स्टेनलेस स्टील का उपयोग आमतौर पर किया जाने लगा है।
तमिलनाडु में वेजिटेरिअन और नॉन वेजिटेरिअन दोनों ही तरह के व्यंजनों की बहुत बड़ी वेराइटी उपलब्ध है। तमिलनाडु चूंकि एक तटीय राज्य है इसीलिए यह ज्यादातर लोकल पॉपुलेशन नॉन वेजिटेरिअन ही है।
तमिल कुजीन की सबसे प्रमुख विशेषता है कि यहाँ खाना बनाने की विधि में फर्मेन्टेशन तकनीक का उपयोग होता है। यानि प्रयोग में लाई जाने वाली दालों और चावल को रात में भिगोकर, फिर अगली सुबह उन्हे पीसकर एक गरम स्थान पर रखकर, कुछ घंटों के लिए छोड़ दिया जाता है। इससे उनमे बैक्टिरीअल फर्मेन्टेशन होता है। इस फर्मेन्टेशन की प्रक्रिया से फूड की नूट्रिशनल वेल्यू कई गुणा बढ़ जाती है। इस प्रक्रिया से भोजन बहुत ही सुपाच्य हो जाता है और सबसे बड़ी बात ये बैक्टीरिआ हमारी गट हेल्थ भी इम्प्रूव करते है।
परफेक्ट तमिल कुजिन बनाने के लिए कुछ स्पेशल इनग्रेडिएंट्स की आवश्यकता होती है जिनका उपयोग करके व्यंजनों में ओथेनटिक टेस्ट और फ्लेवर लाया जा सकता है ।
चावल (Rice): राइस तमिलनाडु का मुख्य भोजन है । प्रमुख रूप से तीन तरह के चावलों का उपयोग होता है-
गोल दाने के चावल – इनका उपयोग डोसा, इडली,उत्तपम इत्यादि बनाने में किया जाता है।
छोटे दाने के चावल – इनका प्रयोग डिसर्टस यानि मीठे व्यंजन जैसे पायसम, केसरी, मीठा पोंगल इत्यादि बनाने में किया जाता है।
लंबे दाने के चावल – ये अधिकतर रोज के खाने मे प्रयोग किये जाते है। जैसे सांभर और रसम के साथ खाए जाते है।
दालें (lentils): राइस के बाद सर्वाधिक इस्तेमाल किये जाने वाला इनग्रेडिएंट दालें है। जिनका उपयोग करी या ग्रेवी (पोरियल) बनाने में, चटनी सांभर, रसम और विभिन्न प्रकार के स्नेक्स बनाने में किया जाता है। ज्यादातर निम्न तीन दालें प्रयोग में ली जाती हैं-
उड़द दाल – ज्यादातर साबुत बिना छिलके की उड़द दाल का इस्तेमाल किया जाता है। जिसे भिगोके फर्मेन्ट करके, राइस के साथ अलग अलग तरह की रेसिपी बनाई जाती है ।
मूँग दाल – यह दाल प्रमुख रूप से पोंगल (खारा और मीठा) में इस्तेमाल होती है।
चना दाल – इसका उपयोग ज्यादातर चटनी बनाने में किया जाता है।
तुअर दाल – यह सांभर बनाने में प्रयोग में ली जाती है।
कोकोनट: तमिलनाडु एक कोस्टल एरिया है यह कोकोनट बहुतायत में मिलता है, तभी यहाँ कोकोनट लगभग हर रेसिपी का हिस्सा है।
कोकोनट ऑइल मेन कुकिंग ऑइल है। लगभग सारी रेसिपीस इसी ऑइल में बनती है।
ग्रेटेड कोकोनट मे पानी मिलकर बनाया गया कोकोनट मिल्क बहुत तरह की ग्रेवी बनाने मे प्रयोग किया जाता है।
ग्रेटेड कोकोनट से कोकोनट लड्डू, कोकोनट बर्फ़ी बनाई जाती है। गुड और कोकोनट मिलाकर भी कई रेसपी बनती है। इसे गार्निश जैसे भी इस्तेमाल किया जाता है।
कोकोनट चटनी भी बहुत प्रसिद्ध है टेस्टी होने के साथ साथ स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी है।
नॉन वेजिटेरियन मेन्यू : फिश ,क्रैब, मीट, चिकन की भी बहुत वैराइटीस बनाई जाती है।
कर्ड /दही: दही और छाछ से कई ग्रेवी बनती है। इसका उपयोग मेरीनेशन में भी किया जाता है। साइड डिश की तरह मीठे और नमकीन दोनों तरह से दही खाया जाता है।
वेजीटेबल्स: कई तरह की लोकल सब्जियां जैसे लौकी, कद्दू, ड्रमस्टिक्स, बैगन, गाजर, केबेज, सूरन, आलू, फ्रेंच बीन्स, स्पेशल छोटे ओनियन, अदरक, कौलीफ्लोवर की सूखी और ग्रेवी की सब्जियां बनाई जाती है।
मसाले: कई वराइटी के मसाले जैसे करी पत्ता ,हल्दी,धनिया लाल मिर्च ,हींग और मस्टर्ड सीड्स उपयोग में लाए जाते है। इमली के पल्प का इस्तेमाल ग्रेवी को टेंगी फ्लेवर देने में किया जाता है। टैमरीन्ड पल्प डाइजेसन को भी बेहतर बनाता है।
वैश्वीकरण की वजह से ये सारे डिसेस अब हर प्रांत हर राज्य हर जगह उपलब्ध है। तो अब हम चाहे किसी भी जगह रह रहे हो अगर तमिल व्यंजनों का लुत्फ लेना चाहे तो ले सकते है।