आयुर्वेद में कहा गया है “पहला सुख निरोगी काया” ये सिर्फ कहावत नहीं है, जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई भी है। हम एक सफल जीवन की कामना तभी कर सकते है, जब हम पूर्ण रूप से स्वस्थ हों। नित नई इन्वेन्ट होती तकनीक और उन पर हमारी निर्भरता ने हमारी जीवन शैली को सीडेंटरी बना दिया है। इसका सीधा असर बढ़ते वजन के रूप में दिखाई देता है। जब तक हम ये महसूस करें की वजन बढ़ रहा है, तब तक आलरेडी वजन 8-10 kg बढ़ चुका होता है। ये एहसास होते ही हम जुट जाते है उसे कम करने में जबकि सच्चाई ये है कि वजन धीरे-धीरे आता है, और उससे भी धीरे-धीरे जाता है।
वजन कम करने के लिए अपनाया हुआ कोई भी शॉर्ट कट हमारे स्वास्थ्य पर अत्यधिक भारी पड़ता है।
वजन कम करने से संबंधित कुछ मिथ्स हैं, जिनकी वास्तविकता जानना बहुत आवश्यक है।
कम खाइए: आंशिक रूप से सत्य है… कम खाना चाहिए पर खुद को भूखा नहीं रखना चाहिए। शरीर की भोजन से संबंधित अपनी अवश्यकताएं हैं, जिनका पूरा होना भी आवश्यक है। अधिक भूखा रहने से मसल्स क्षय होने लगती है जो किसी भी तरह से उचित नहीं है।
कम खाइए क्यूंकि हमारी आवश्यकता कम ही होती है, आप कल्पना कीजिए कि हमारे आमाशय का साइज़ कितना होता होगा, जहा जाकर भोजन स्टोर होता है और उसका पाचन शुरू होता है। सिर्फ रोटियों की संख्या से अपने भोजन का आँकलन ना करें पूरे भोजन की मात्रा पर ध्यान दें।
सिर्फ फल खाने चाहिए: आंशिक रूप से सत्य है… फल एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते है, पर शरीर की यही आवश्यकता नहीं है। दिन भर में आपको संतुलित आहार की आवश्यकता है, फल उस संतुलित आहार का एक पार्ट हैं।
फल खाने का सबसे उचित समय सुबह खाली पेट है, अगर संभव नहीं है तो आप इसे एक मिड मील स्नेक की तरह ले सकते हैं। हमेशा मौसमी और स्थानीय फलों का ही उपयोग करें, ताकि आपके शरीर में वातावरण के हिसाब से आवश्यक न्यूट्रीएंट्स की पूर्ति होती रहे।
क्रेश डाइट्स: आंशिक रूप से सत्य है…अपने कई विज्ञापनों की आकर्षक टैग लाइंस देखी होंगी जैसे 15 दिनों मे अपना वजन घटाइए इत्यादि… विश्वास मानिए ये सब फॉलो करना बहुत मुश्किल होता है। ज्यादातर प्लान में एक ही तरह के भोजन को रिपीट करते रहते है। इसे पूरा कर जैसे ही आप अपने नॉर्मल रूटीन में आते हैं तो फिर से आपका वजन वहीं का वहीं पहुंच जाता है।
डाइट को कुछ दिनों का परिवर्तन मत समझिए बल्कि अपना भोजन ऐसा रखिए कि आप उसे ज़िंदगी भर खा सकें उसमें स्वाद की विविधता हो और मात्र की सीमितता हो ताकि उसी भोजन से आप वजन कम भी कर सकें और नियंत्रित भी रख सकें।
एक्सरसाइज़ की जरूरत नहीं: पूर्ण रूप से असत्य है… दैनिक जीवन में एक्सरसाइज़ का कोई विकल्प है ही नहीं।
बल्कि सही तथ्य है कि आपको हफ्ते भर का, या फिर हफ्ते में कम से कम 5 दिनों का अलग-अलग तरह का रूटीन बनाना चाहिए जिसमें सभी तरह जैसे स्ट्रेंगथ ट्रैनिंग, कार्डियो, योगा, स्ट्रेचिंग, वेट ट्रैनिंग के लिए समय होना चाहिए।
मेजिकल ग्रीन टी: आंशिक रूप से सत्य है… ग्रीन टी तभी वन्डर कर सकती है जब आप उसे लेने बागानों तक जाए खुद चुन करके लाएं, कहने का मतलब है इतनी मेहनत करें। ग्रीन टी भी अन्य चाय की तरह ही है बस फर्क है आप उसमें ना तो दूध डालते है ना शुगर तो उसकी केलोरी कम हो जाती हैं।
अपने आप को हाईड्रेटेड रखें पानी पिए और केफीनेटेड ड्रिंक्स से दूरी बनाए रखें।
नो कार्बोहाइड्रेट्स: आंशिक रूप से सत्य है…कार्बोहाइड्रेट्स हमें हमारे दिन भर के कार्यों को करने के लिए ऊर्जा देते हैं। अतः ये बहुत आवश्यक है कि हमारी डाइट में ये जरूर हों।
बस आपको इनको सिलेक्ट करते समय ध्यान रखना है कि कार्बोहाइड्रेट्स ऐसे हो जिनमें फ़ाइबर प्रचुर मात्रा में हो जैसे होल ग्रेन्स, हेंड पाउन्ड राइस, रागी, ज्वार, बाजरा, मक्का, राजगीरा इत्यादि। रिफाइन्ड अनाजों को अपने आहार में ना शामिल करें या फिर बहुत ही सीमित मात्रा में उपयोग में लें।
फैट बिल्कुल ना लें: पूर्णतया असत्य है… वजन कम करने की बात आती है तो फैट को बिल्कुल गलत मान लिया जाता है। जबकि ये बिल्कुल सही नहीं है, फैट हमारे डाइट का आवश्यक अंग है। बल्कि गुड फैट, जमे हुए फैट को हटाने का भी काम करता है, जी हाँ अपने सही पढ़ा है वापिस मत पढिए..
फैट ग्लाईसीमिक इंडेक्स को कम करने में मदद करता है। इतना याद रखना है कि आपको इसकी मात्रा सीमित रखनी है और सही तरह के फैट का चुनाव करना है। गाय का घी, कोकोनट ऑइल, कोल्ड प्रेस्ड ऑइल ये अच्छे फैट के उदाहरण है।
भोजन की जगह प्रोटीन शेक लें: पूर्णतया असत्य है… हमारे शरीर को 0.8 – 1.0 gm / body weight प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इससे अधिक मात्रा में लिया हुआ प्रोटीन शरीर में नाइट्रोजन वेस्ट को बढ़ाता है और अनावश्यक रूप से किडनी पर दवाब डालता है।
डीटाक्स वाटर मेजिकल है: आंशिक रूप से सत्य है…डीटाक्स वाटर में इनग्रेडिएंट्स की वजह से मिनरल्स की मात्रा अधिक होती है। इसीलिए ये वजन कम करने में सहायक सिद्ध होते हैं। पर आप इन्हें फ्रेश इस्तेमाल करिए और अगर आपको इसका स्वाद पसंद है तो अपने रुटीन मे शामिल कर सकते हैं।
अपना फेवरेट फूड छोड़ना ही पड़ेगा: ऐसा बिल्कुल नहीं है। अगर आपको कुछ करना है तो आपके शरीर के साथ आपके मन का साथ होना बहुत आवश्यक है।
इसके लिए आप 3 स्पून रूल अपना सकते है अपना फेवरेट फूड इन्जॉय करिए पर उसकी मात्रा 3 चम्मच तक ही सीमित रखिए।
तो अब आपको काफी हद तक पता है कि आपके लिए क्या सही क्या गलत है सो उसी तरह से अपनी लाइफ में परिवर्तन करिए, और अपने जीवन का आनंद लीजिए।